अफ़वाह फैला रहे हैं डॉ क़ाफील, नही मिली है क्लीन चिट

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बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में बच्चों की मौत के मामले में निलंबित प्रवक्ता डा. कफील अहमद पर लगे चार में से दो आरोप सही पाए गए हैं। दो आरोपों में उन्हें दोषी नहीं पाया गया है। उन्हें गोरखपुर मेडिकल कालेज में प्रवक्ता और राजकीय चिकित्सक होते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने का दोषी पाया गया है। शासन इन दोनों मामलों में जल्द ही फैसला लेगा।

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वहीं अनुशासनहीनता और नियमों के उल्लंघन से संबंधित तीन आरोपों के साथ ही विभागीय कार्यवाही अभी चल रही है। शासन ने डा. कफील अहमद को दोषी बताए जाने के साथ ही स्पष्ट किया है कि डा. कफील अहमद खुद को क्लीनचिट देने की भ्रामक व्याख्या कर रहे हैं। अभी भी उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही में अंतिम फैसला होना बाकी है।

प्रवक्ता होने के बाद भी करते थे प्राइवेट प्रैक्टिस, आरोप सिद्ध

डा. कफील अहमद पर आरोप लगा था कि मेडिकल कालेज में प्रवक्ता के पद पर नियुक्त होने के बाद भी उन्होंने प्राइवेट प्रैक्टिस जारी रखी और चिकित्सीय लापरवाही बरती। जांच अधिकारी ने इस आरोप पर लिखा है कि डा. कफील अहमद नियमों और शर्तों का उल्लंघन कर मेडिस्प्रिंग हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर रुस्तमपुर गोरखपुर में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे। डा. कफील अहमद इस आरोप पर समुचित जवाब नहीं दे सके। इस प्रकार उन्हें आरोप में दोषी पाया गया है।

सेवा शर्तों का उल्लंघन कर की प्राइवेट प्रैक्टिस

दूसरी ओर डा. अहमद पर नियम विरुद्ध निजी नर्सिंग होम का संचालन करने और मेडिकल कालेज में राजकीय चिकित्सक के रूप में कार्य करते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस में संलिप्त रहने का आरोप है। उन्होंने सेवा शर्तों का उल्लंघन कर प्राइवेट प्रैक्टिस की। जांच अधिकारी ने लिखा है कि इस आरोप पर भी डा. कफील ने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया।