दुनिया भर के तमाम देशों में कोरोना वायरस अपने अलग-अलग रूपों में कोहराम मचा रहा है। ऐसा ही एक रूप है कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद दोबारा पॉजिटिव हो जाना। चीन से लेकर भारत और दुनिया के अन्य देशों में इस तरह के मामले देखे जा रहे हैं कि जो कोरोना मरीज ठीक हो चुके हैं कुछ दिन बाद दुबारा कोरोना टेस्ट पॉजिटिव निकला है। ऐसे में आपको डरना है या नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी वजह बताई है।
डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिसर्च फाइंडिंग टीम के हवाले से बताया है कि यह जरूरी नहीं कि जो मरीज ठीक हो चुके हैं उनकी हर बार रिपोर्ट निगेटिव ही आए। दरअसल फेफड़े की मृत कोशिकाओं के कारण दोबारा पॉजिटिव रिपोर्ट की संभावना बनी रहती है। पर इसका मतलब यह नहीं कि मरीज री-इंफेक्टेट है। यह मरीज का रिकवरी फेज होता है।
डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 संक्रमित मरीजों को लेकर जो महत्वूपर्ण जानकारी साझा की है, उसके अनुसार इसकी पूरी संभावना बनी रहती है कि जो मरीज एक बार ठीक हो चुका है उसकी रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आए। पर मरीजों का दोबारा पॉजिटिव टेस्ट आने के पीछे फेफड़ों की मरी हुई कोशिकाएं जिम्मेदार हो सकती हैं। इससे मरीजों को डरने की जरूरत नहीं है।
शरीर खुद ही वायरस की सफाई करता है
डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि ताजा आंकड़ों और विश्लेषणों के आधार पर कहा जा सकता है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आना स्वाभाविक है। ठीक होने के बाद मरीजों के फेफड़ों से मृत कोशिकाएं बाहर आ सकती हैं। इन मृत कोशिकाओं के आधार पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। पर यह मरीजों का रिकवरी फेज है जिसमें मनुष्य का शरीर खुद ही उसकी सफाई करता है।
महामारी के दूसरे फेज की बात गलत: डब्ल्यूएचओ ने कहा कि तमाम देशों में काफी संख्या में मरीजों की रिपोर्ट ठीक होने के बाद दोबारा पॉजिटिव आई है। यह खास चिंता की बात नहीं है। यह कोरोना का दूसरा फेज बिल्कुल नहीं है। अप्रैल में सबसे पहले दक्षिण कोरिया ने अपने यहां के सौ मरीजों की रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया गया था कि ठीक होने के बाद वो दोबारा पॉजिटिव निकले हैं। इसके बाद कई अन्य देशों में ऐसी बातें सामने आईं। पर अब स्पष्ट है कि इससे ज्यादा खतरा नहीं।