खेती की बर्बादी का सबब बने छुट्टा पशु

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गोरखपुर। गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के आसपास के दर्जनों गांवों में छुट्टा पशु खेती के लिए बर्बादी का सबब बन गये हैं । जंगली जानवरों व छुट्टा पशुओं द्वारा सब्जियों व फसलों की बर्बादी लेकर किसान काफी परेशान है।

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‌‌‌‌‌‌‌‌‌क्षेत्र में मुख्य रूप से गेहूं, सरसों, चने, अरहर की फसलों के अलावा कुछ गांवों के किसान सब्जियों की खेती भी किए हुए हैं। गेहूं, सरसों के अधिकांश फसलों की पहली सिंचाई भी हो चुकी है। ऐसे में किसानों की हरी-भरी फसल को छुट्टा पशु व नीलगाय काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

क्षेत्र में छुट्टा पशुओं का आतंक तो पहले से ही था अब नील गायों व जंगली सूअरों ने फसलों व सब्जियों की खेती को बर्बाद कर रहे हैं। सरसों व गेहूं के पौधे अपने शुरुआती दौर में है। ऐसे में जानवरों द्वारा इनका नुकसान किए जाने पर दोबारा इनके पनपने की संभावना लगभग खत्म हो जायेगी।

सब्जी की खेती करने वाले व इसी की बदौलत अपना जीविकोपार्जन करने वाले किसानों का कहना है कि छुट्टा पशुऔर नील गाय सब्जियों की खेती को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जबकि जंगली सूअरे आलू के खेतों को खोद कर आलू की पूरी खेती ही बर्बाद कर दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि यदि इन जानवरों पर रोक थाम नहीं लगी तो हम लोगों के फसलों व सब्जी की सारी खेती चौपट हो जाएगी और हम लोग भुखमरी के शिकार हो जायेंगे।

हालांकि किसानों की फसलों के नुकसान की भरपायी के लिए शासन ने फसल बीमा योजना लागू कर रखा है। लेकिन जानकारी के अभाव में अधिकांश किसान बीमा के लाभ से वंचित रह जाते हैं।

ऐसे में प्रशासन द्वारा गांवों में कैंप लगाकर किसानों को फसल बीमा के बारे में विस्तृत जानकारी देकर जागरूक करने की जरूरत है। ताकि ऐसी स्थितियों में किसान बीमा के द्वारा किसानों के नुकसान की भरपायी हो सके।