गोरखपुर। वैसे तो रामलीला का मंचन हजारो वर्षो से किया जा रहा हैं लेकिन पहले यह वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण पर आधारित होती थी।
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सोलहवी शताब्दी में जब से तुलसीदास जी ने अवधि भाषा में रामचरितमानस की रचना की तब से इसका मंचन पहले से और ज्यादा भव्य तरीके से होने लगा।
वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण संक्षिप्त रामायण थी लेकिन तुलसीदास जी ने इसे विस्तृत करके लिखा जिसमे कुछ और घटनाएँ भी जोड़ी गयी।
इसके पश्चात 1625 ईसवीं में तुलसीदास जी की शिष्या मेघा भगत ने इसे वाराणसी के रामनगर में पहली बार मंचन किया जो रामचरितमानस पर आधारित थी।
तब से लेकर आज तक इसका मंचन निरंतर रूप से होता आ रहा हैं जिसमे सभी लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं व श्रीराम के जीवन मूल्यों व आदर्शों को सीखते हैं।
उक्त बाते आज जिला पंचायत सदस्य डॉ प्रभुनाथ ने कही वो बासगांव विधान सभा के जीवकर में चल रहे श्री श्री बाबा भीखमदास रामलीला समिति में बतौर मुख्य अतिथि सम्मालित हुए।
समिति के लोगो ने प्रभु श्री राम का चित्र भेट कर उन्हे सम्मनित किया इस मौके पर ग्राम प्रधान रामवचन यादव, प्रधानाचार्य चंद्र भूषण मिश्रा ,शैलेंद्र यादव, सुनील मिश्रा, जय प्रकाश सिंह ब्रह्मानंद यादव ,सुमित मिश्रा (गोलू ), सच्चिदानंद शर्मा, प्रधानचार्य राजेंद्र मिश्रा, रामदरश पांडेय, जवाहर लाल यादव के साथ बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।