रामलीला का मंचन हमें मानवता तथा जीवन मूल्यों का अनोखा संदेश देने का कार्य करता है : डॉ प्रभुनाथ

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गोरखपुर। वैसे तो रामलीला का मंचन हजारो वर्षो से किया जा रहा हैं लेकिन पहले यह वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण पर आधारित होती थी।

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सोलहवी शताब्दी में जब से तुलसीदास जी ने अवधि भाषा में रामचरितमानस की रचना की तब से इसका मंचन पहले से और ज्यादा भव्य तरीके से होने लगा।

वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण संक्षिप्त रामायण थी लेकिन तुलसीदास जी ने इसे विस्तृत करके लिखा जिसमे कुछ और घटनाएँ भी जोड़ी गयी।

इसके पश्चात 1625 ईसवीं में तुलसीदास जी की शिष्या मेघा भगत ने इसे वाराणसी के रामनगर में पहली बार मंचन किया जो रामचरितमानस पर आधारित थी।

तब से लेकर आज तक इसका मंचन निरंतर रूप से होता आ रहा हैं जिसमे सभी लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं व श्रीराम के जीवन मूल्यों व आदर्शों को सीखते हैं।