कुशीनगर। रक्षा मंत्रालय के एक पत्र से कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उड़ानों की उम्मीदों खटाई में पड़ती नज़र आरही है। एयरपोर्ट के जमीन में शामिल किए पूर्व की एयरस्ट्रिप की जमीन सहित 19 गांवों में स्थित कुल 275.47 एकड़ भूमि पर रक्षा मंत्रालय ने अपना दावा पेश किया है।
यही नहीं रक्षा संपदा अधिकारी ने डीएम से उस जमीन के कागजात (खसरा खतौनी) तथा राजस्व मानचित्र में रक्षा मंत्रालय भारत सरकार का नाम चढ़ा कर प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने की अपेक्षा भी की है।
रक्षा मंत्रालय के इस कदम से एयरपोर्ट से उड़ान शुरू होने को लेकर पेंच फंस सकता है। नए व्यावसायिक एयरपोर्ट का निर्माण 589.35 एकड़ क्षेत्रफल में हुआ है। इसमें किसानों से खरीदी गई 455.794 एकड़ भूमि का इस्तेमाल किया गया है।
शेष भूमि पूर्व के एयरस्ट्रिप की थी। एयरस्ट्रिप की भूमि का प्रबंधन रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाले रक्षा संपदा अधिकारी इलाहाबाद ने अपने पास होने का दावा किया है।
रक्षा संपदा अधिकारी विनीत कुमार ने 12 मई को डीएम को एक पत्र भेजा। इसमें रक्षा मंत्रालय में उपलब्ध पुराने राजस्व अभिलेखों के आधार पर उक्त भूमि को कसया तहसील के 19 गांवों में स्थित होना बताते हुए इसे रक्षा मंत्रालय की संपत्ति बताया गया है।
पुराने अभिलेखों में उक्त भूमि रक्षा संपदा, सड़क हवाई अड्डा, सड़क एयरोड्रम और नागरिक उड्डयन विभाग के नाम दर्ज है। रक्षा संपदा अधिकारी ने पत्र के साथ मंत्रालय का एसएलआर अभिलेख व अधिग्रहण के दौरान प्राप्त राजस्व अभिलेख की प्रति भी भेजी है।
रक्षा संपदा अधिकारी ने वर्तमान में उक्त भूमि का बंदोबस्त व संबंधित राजस्व ग्रामों में रक्षा भूमि के रूप में चिंहित राजस्व नक्शे की प्रमाणित प्रति मांगी है।
कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर राज्य सरकार ने कुल 600 करोड़ खर्च किए हैं। 200 करोड़ रन-वे, एप्रन, चहारदीवारी, फायर बिल्डिंग, एटीसी बिल्डिंग पर खर्च किए गए हैं।
भूमि खरीद पर 400 करोड़ खर्च किए गए। इसके अतिरिक्त ब्रिटिशकालीन एयरस्ट्रिप की 190 एकड़ जमीन भी एयरपोर्ट में समाहित कर ली गई है। यहां से उड़ान की तैयारियां अंतिम चरण में चल रही थी। एयरपोर्ट अथार्टी आफ इंडिया ने स्वामित्व प्राप्त करने के साथ रूट व एविएशन कंपनी का चयन भी कर लिया था।
कसया के उपजिलाधिकारी देश दीपक सिंह का कहना है कि नियमानुसार कोई भी नामांतरण इत्यादि मात्र पत्र व्यवहार के आधार पर नहीं किया जा सकता है। अपितु सक्षम न्यायालय में वाद योजित कर गुण दोष के आधार पर नामांतरण की कार्यवाही कराई जा सकती है। रक्षा संपदा अधिकारी को इस तथ्य से अवगत करा दिया गया है।