कोरोना संकट में आशा बहुओं के योगदान को नहीं भूलेगा देश, आइये मिलकर इन्हें करें सैलूट
गोरखपुर। वैश्विक महामारी करोना के संकट की इस घड़ी में डॉ, सफाईकर्मी व पुलिसकर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता ।लेकिन हमारे बीच ऐसे भी करोना वैरियर्स हैं जिनकी चर्चा नहीं हो पाती है ना ही उन्हें वह सम्मान मिल पा रहा है वास्तव में जिसके वे हक़दार हैं। हम बात कर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ व नीव बन चुकी आशा बहुओं की।जो बेहद कम मानदेय में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं को डोर-टू-डोर पहुँचा रही हैं साथ ही जननी सुरक्षा योजना,पल्स पोलियो अभियान,फाइलेरिया उन्मूलन अभियान,डॉट्स अभियान,नसबन्दी,टीकाकरण आदि योजनाओं में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
बावजूद इसके इनके मानदेय को लेकर अभी तक केंद्र व प्रदेश सरकार गंभीर नहीं है। आशा बहुएं करोना बीमारी के शुरुआती समय यानी बीते 22 मार्च से लॉक डाउन के बाद से अब तक लगातार फील्ड में स्वास्थ्य सुविधाओं को लोगों के बीच पहुँचा रही हैं।गोरखपुर जनपद की यदि बात करें तो उरुवा ब्लॉक के हाटा बुजुर्ग में जनपद का पहला करोना मरीज पाया गया।
स्वास्थ्य विभाग में करोना का मरीज पाए जाने के बाद से ही हड़कम्प मच गया।जिसमे बिना सुरक्षा किट के आशाओं ने एक ग्लव्स,एक सेनेटाइजर तथा रोज इस्तेमाल वाले एक मास्क के सहारे अपने जान की बाजी लगाकर कर्तव्यों का निर्वहन किया।