सुनील सिंह ने पत्र लिखकर योगी आदित्यनाथ को बताया द्रोणाचार्य

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sunil singh

गोरखपुर लोकसभा सीट से हिन्दुस्तान निर्माण दल के प्रत्याशी सुनील सिंह ने अपना पर्चा रद्द होने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुला पत्र लिखा है, जिसमें सुनील सिंह ने योगी आदित्यनाथ को द्रोणाचार्य बताया है और जिलाधिकारी को गांधारी.

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आप खुद पढ़िए सुनील सिंह का पत्र:

आदरणीय गुरुदेव श्री योगी आदित्यनाथ जी सादर प्रणाम। मुझे पता है कि आपको पता है, फिर भी मैं आपके संज्ञान में ये बात डाल रहा हूँ की अभी लोकसभा के आख़िरी चरण में 13 सीटों का चुनाव होना बाकी है, जिसमें से 111 प्रत्याशियों का आपके ज़िलाधिकारीयों (जिला निर्वाचन अधिकारी नहीं कहूंगा) द्वारा उलजूलुल कारण देकर पर्चा निरस्त कर दिया गया, और जो कारण देकर उनका पर्चा निरस्त किया गया वही सारे कारण एक बाहरी BJP प्रत्याशी जो कि 2014 में हमसे भी ज्यादे आपकी पार्टी का विरोध किया था, उसके भी पर्चे में मौजूद हैं, लेकिन आज यहां वही जिलाधिकारी गांधारी बन बैठा है।

मैं इस धर्मयुद्ध में अर्जुन की तरह लड़ूंगा, चिड़िया की आंख मुझे दिख रही है, और इस धर्म युद्ध मे विजय मेरी होगी ये मेरा विश्वास है। आप द्रोणाचार्य बन बैठे हैं, लेकिन दुख है कि कलयुग का द्रोणाचार्य द्वापर के द्रोणाचार्य सा ना रहा, द्वापर के द्रोणाचार्य तो द्रौपदी के चीरहरण के समय सर झुका के पश्चाताप मुद्रा में थे लेकिन कलयुग में तो लगता है कि कौरवों के दरबार का एक एक आदमी लोकतंत्र के चीरहरण का उत्सव मनाना चाहता है। सविनय निवेदन है आपसे जब इस बीजेपी को इस लोकतंत्र का चीरहरण ही करना है तो चुनाव क्यूँ कराया जा रहा है ? आप कैसे समाज की परिकल्पना कर रहे हैं, यह तो नहीं मालूम है, लेकिन पिछले एक हफ़्ते में आपके फ़ैसलों ने समाज में संदेश दिया है की आपको विरोध पसंद नहीं है ? कोई आपके विकास मोडल को चुनौती दे वो आपको पसंद नहीं है . मुझे लगता है कि यह पहला चुनाव है जहाँ पे प्रशासनिक ब्यवस्था में बैठे हुए लोग भाजपा का एजेंट बनकर काम कर रहे है . हर पोस्ट पे एक तानाशाह बैठा है जो लोकतांत्रिक देश में तानाशाह जैसा व्यवहार कर रहा है । उसे चुनाव से सम्बंधित किसी भी समस्या को नहीं सुनना है अगर ग़लती से वह समस्या भाजपा के खिलाफ है तो बिलकुल नहीं सुनना है .

क्या यही BJP के आदर्श लोकतंत्र का चाल चरित्र है? जहाँ पे नौकरशाही सत्ता पक्ष के सुविधानुसार अंधा होकर आचरण कर रही है जो कि लोकतंत्र के लिए अभिशाप है ।

मैं सुनील सिंह आपके साथ काम करने का 18-20 साल का अनुभव है और आपको मेरा जुझारूपन याद है, उसीके आधार पे मैं आपसे कहना चाहता हूँ की जैसे आपने गोरखपुर में अपने आगे किसी नेता को पैदा होने नहीं दिया उसी तर्ज़ पे आप प्रदेश में किसी नेता को पनपने नहीं देना चाहते हैं, ये जनता जान चुकी है।जब चुनाव आपके इच्छा के अनुकूल ही होना है तो चुनाव ही ख़त्म करा दो। ना रहेगा बाँस ना बजेगी बाँसुरी, कोई आपका विरोधी पैदा ही नहीं होगा । कोई भी आपके द्वारा किए गए कार्यों का लेखा जोखा नहीं लेगा। बस आपकी तानाशाही चलेगी ।