गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में घोटाले का मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी उलझते जा रहे हैं।
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सीएम पोर्टल पर भेजे गए जवाब में विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्वीकार किया कि भुगतान में गड़बड़ी हुई है।
टेंडर किसी और को मिला जबकि भुगतान किसी और को हो गया।
यह मामला 2018 में छात्रावासों में दरवाजे और हीरापुरी कॉलोनी आवास की मरम्मत के काम का है। करीब 12 लाख रुपए के काम का टेंडर सिंह एंड कंपनी को मिला।
ठेकेदार पियूष कुमार सिंह ने बकायदा काम कराया था। इसकी पुष्टि विश्वविद्यालय के इंजीनियर ने भी की है।
इस मामले में विश्वविद्यालय के एकाउंट सेक्शन में खेल हो गया। कर्मचारियों ने इस काम का भुगतान दूसरे फर्म को कर दिया।
ठेकेदार को इसका पता दो महीने पहले चला। इस मामले में ठेकेदार ने विश्वविद्यालय प्रशासन से लेकर शासन तक शिकायत की है।
विवि को मीडिया से पता चला कि गलत हो गया भुगतानऔर सीएम पोर्टल पर शिकायत की। विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो दिन पहले सीएम पोर्टल पर जवाब भेज दिया है।
इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन ने लापरवाही स्वीकार कर ली है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने माना है कि इस मामले में जिस फर्म को टेंडर दिया गया उसे भुगतान नहीं किया गया। भुगतान दूसरी फर्म को हो गया है। जिनसे रकम वापस ली जा रही है।
अधिकारियों को नहीं पता, कौन कर रहा है जांच
गलत भुगतान का यह मामला विश्वविद्यालय के अधिकारियों के लिए गले की हड्डी बन गया है।
पीड़ित ठेकेदार द्वारा लगातार शिकायत किए जाने के बावजूद विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी जांच से कन्नी काट रहे हैं।
वह जांच का ठीकरा एक-दूसरे पर डाल रहे हैं। इस मामले में पूछे जाने पर वित्त अधिकारी धर्मेन्द्र प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि मामले की जांच रजिस्ट्रार कर रहे हैं।
जबकि रजिस्ट्रार डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि कुछ दिन पूर्व सीएम पोर्टल की शिकायत मिली है। जिसे जांच के लिए वित्त अधिकारी को दिया गया है।