कोरोना से दरकने लगे हैं रिश्ते, मौत के बाद परिवार वालों ने छोड़ दी लावारिस लाश

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सुनील गहलोत, गोरखपुर। कोरोना का खौफ अब रिश्तों पर भारी पड़ने लगा है। इसे करोना की दहशत कहिए या कुछ और लेकिन बिखरते रिश्तों की बानगी यह है कि अपने भी बेगाने होते जा रहे।

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दिन रविवार को विकासखंड उरुवा के ग्राम पंचायत चक सरया में परिवार वालों ने इकलौते पुत्र के शव के दाह संस्कार तो दूर छूने तक से मना कर दिया। परिवार वालों को आशंका थी कि यह मौत करोना बीमारी से हुई है।

दरकते रिश्ते और रिश्तों को मिटाने वाली इस बीमारी से अब भी लोग जागरूक नहीं हुए तो हालात क्या होंगें यह सोचना मुनासिब नहीं होगा।

जब परिवार और रिश्तेदारों ने शव को छूने से मना कर दिया तो ऐसे में गाँव के कुछ जागरूक युवा आगे आये और सावधानी बरतते हुए युवक का किसी तरह दाह संस्कार सम्पन्न हो सका। काफी मान-मनौवल के बाद मृतक का 24 मई को दोपहर 12 बजे के बाद शव का दाह संस्कार किया गया।

उरुवा क्षेत्र के ग्राम पंचायत चक सरया निवासी 38 वर्षीय परमानंद पुत्र रामसेवक जालंधर में रहकर मार्बल एवं टाइल्स लगाने का काम करता था। लॉकडाउन के चलते सारे काम धंधे ठप पड़ गये। जिसके चलते बीते 7 मई को परमानंद ट्रेन से गोरखपुर आ गया।

गोरखपुर से बस द्वारा गोला बाजार पहुंचा। जहां स्वास्थ्य परीक्षण कराने के उपरांत पैदल अपने घर आ गया। तीन-चार दिन घर रहने के बाद प्राथमिक विद्यालय चक सरया में जाकर क़वारन्टीन रहा।

जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरुवा के चिकित्सकों की टीम ने परीक्षण के उपरांत उसे घर भेज दिया। जिसके पश्चात वह पिछले 4 दिनों से घर ही रह रहा था।

बताया जाता है कि 23 मई की रात लगभग 11 बजे रात अचानक हुये सीने में दर्द की शिकायत को लेकर परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन किया। लेकिन लगातार फोन लगाने पर भी फोन नहीं लगा।

युवक को परिजनों ने आनन-फानन में वही के एक झोला छाप डॉक्टर को दिखाया। ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर के इलाज के बाद ही उसकी की मौत हो गयी।

कुछ लोगों ने इसे कोरोना से हुई मौत बताना शुरू किया। जिसके चलते परिजनों ने शव के दाह संस्कार की बात तो दूर शव को छूने से अपने हाथ खड़े कर लिये। परिवार ने शव के दाह संस्कार का जिम्मेदारी प्रशासन के भरोसे छोड़ दिये।

बाद में मौके पर समाचार कवरेज करने गए कुछ मीडियाकर्मियों द्वारा समझाने पर गाँव के युवाओं ने पहल की और दाहसंस्कार के लिए तैयार हुए।

ग्राम प्रधान द्वारा उपलब्ध कराए गये मास्क, सैनिटाइजर एवं ग्लव्स के इस्तेमाल के साथ परमानंद के कुछ रिश्तेदारों ने लाश को उठाकर अर्थी पर रखा।

ग्राम प्रधान हरिदर्शन ने बताया कि कोई गाड़ी वाला अर्थी को ले जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। मजबूर होकर अर्थी को ठेले पर रखकर दाह संस्कार के लिए ले जाया गया। लगभग 4:00 बजे सायंकाल दाह संस्कार संपन्न हो गया। हालांकि परमानंद अपने परिवार का एकमात्र कमाऊ पुत्र था।