MLC गणेश शंकर को प्राइवेट पैथोलॉजी ने बताया कोरोना पॉजिटिव, BRD की रिपोर्ट नेगेटिव

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गोरखपुर। इस कोरोना काल में जहां लोग हैरान परेशान हैं तो वहीं कुछ लोग हैं जो इस संकट की घड़ी में जनता को जितना लूट सकते हैं जमकर लूट रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि आपदा में अवसर ढूंढो कुछ लोग ऐसे हैं जो इसी आपदा में जनता को चूना लगाने का काम कर रहे हैं। काम भी खुलेआम कर रहे जिसे हम आप पकड़ ही नहीं सकते और मजबूरन जेब भी ढीली करनी पड़ेगी कोरोना के नाम पर..

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ऐसा ही एक मामला आज सीएम सिटी गोरखपुर से सामने आया है जहां एमएलसी गणेश शंकर पांडेय की कोरोना रिपोर्ट को बक्सीपुर स्थित तिलक पैथोलॉजी ने पॉजिटिव बताया जिसके बाद आनन फानन में परिवारवालों ने गणेश शंकर को लखनऊ मेदांता में एडमिट करा दिया लेकिन वही रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज द्वारा नेगेटिव आये जाने पर परिवार के लोग सकपका गए कि बात मानें तो मानें किसकी? परिवार और प्रशासन की सूझबूझ से मामला टल गया लेकिन इस पूरे मामले में तिलक पैथोलॉजी का खेल उजागर हो गया।

मेडिकल कॉलेज रिपोर्ट

विधान परिषद सदस्य तथा पूर्व सभापति विधान परिषद और बसपा नेता गणेश शंकर पांडेय का जो कि मौसमी बुखार की चपेट में आ गए थे महामारी के इस दौर में उन्होंने एहतियात बरतते हुए तिलक पैथोलॉजी गोरखपुर में अपना सैंपल कोरोना टेस्ट हेतु भेजा परंतु इसी के साथ उनके जेष्ठ पुत्र संतोष पांडेय की प्राइवेट पैथोलॉजी में असंतुष्टि के कारण गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भी एक सैंपल पूरे परिवार का भेजा गया।

प्राइवेट पैथोलॉजी रिपोर्ट


तिलक पैथोलॉजी के द्वारा आरटी पीसीआर टेस्ट में गणेश शंकर पांडेय 64 वर्षीय पॉजीटिव पाए गए जिसके बाद परिवार ने उन्हें मेदांता में एडमिट कराया परंतु कुछ घंटे बाद जब मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट आती है तो उन्हें यह जानकारी होती है कि आरटी पीसीआर टेस्ट में गणेश शंकर पांडेय नेगेटिव हैं यह सुनकर परिवार के होश उड़ जाते हैं। इस पूरे मामले पर प्रतिनिधि रमेश तिवारी ने बताया कि तिलक पैथोलॉजी के खेल का पर्दाफाश हो चुका है।

हम पूरे मामले को लेकर थाने में तहरीर देंगे। उन्होंने बताया फिलहाल गणेश शंकर को मेदांता से डिस्चार्ज करा कर घर लेते आया गया है। लेकिन जिस तरीके से प्राइवेट पैथोलॉजी द्वारा जनता के साथ ये लूटपाट का गंदा खेल खेला जा रहा है उसके खिलाफ हम आवाज उठाएंगे।

सवाल ये है कि प्रशासन ने जिन पैथोलॉजी को कोरोना की जांच करने का परमिट दिया है क्या कभी कोई अधिकारी वहां आकर सत्यता की जांच करता है?