गोरखपुर। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जिले की 43 चिकित्सा इकाइयों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान (पीएमएसएमए) का सोमवार को आयोजन किया गया।
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इस दौरान गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच की सुविधा प्रदान की गयी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि जांच के दौरान 120 उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) चिन्हित की गयीं जिनकी आशा कार्यकर्ता के जरिये खासतौर से निगरानी की जाएगी।
जिले में कुल 4000 गर्भवतियों ने चिकित्सा इकाईयों पर प्रतिभाग किया।
जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन ने खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर हुये आयोजन में प्रतिभाग किया तो जिले के सभी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने भी संबंधित क्षेत्र के आयोजनों में हिस्सा लिया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि नौ सितम्बर 2016 से इस अभियान की शुरूआत की गयी थी।
अक्टूबर 2020 तक कुल 52481 गर्भवतियों को अभियान के दौरान निःशुल्क जांच की सुविधा प्रदान की गयी।
जिले में इस अभियान की शुरूआत से लेकर अक्टूबर तक 3604 एचआरपी चिन्हित की गयी हैं।
सोमवार के अभियान के दौरान डेरवा और बड़हलगंज में दो निजी चिकित्सकों ने भी स्वयंसेवा दी है।
उन्होंने बताया कि अभी परिस्थितिवश लोग अस्पताल आने में डर रहे है।
मुख्यतः गर्भवती महिला प्रसव के लिए केन्द्रों पर आ रही हैं लेकिन जांच के लिए नहीं। जबकि गर्भावस्था व प्रसव के समय होने वाले खतरों से मातृ एवं शिशु को बचाने के लिए प्रसव पूर्व जांच बहुत जरूरी है।
उन्होने बताया कि प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने वीडियो के माध्यम से खुद सभी से अनुरोध करते हुये कहा है कि कोरोना संक्रमण बाधा है।
सतर्कता के साथ गर्भवती माँ को ख़ास होने का एहसास दिलाते हुए प्रत्येक नौ तारीख़ को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ प्रदान करने के लिए उन्हें निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में लायें और निःशुल्क जाँचों और सेवाओं का अवसर ना गँवायें।
साथ ही आशाओं को ज़िम्मेदारी दी गयी है कि वह अपने क्षेत्र की सभी गर्भवती महिलाओं को इस दिवस पर केंद्र पर लाकर जांच जरूर करवाएँ।
उन्होने कहा कि गर्भवती आपदा से न घबराएँ और केन्द्रों पर टीकाकरण और जांच के लिए जरूर आयें। यह आयोजन प्रत्येक माह कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चलता रहेगा।
कोरोना काल में भी हुई जांच
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि कोरोना काल में भी पीएमएसएमए संबंधित कुछ गतिविधियां आयोजित की गयीं, जिनमें 6861 गर्भवतियों को अप्रैल माह से अक्टूबर 2020 तक जांच की सुविधा दी गयी।
उन्होंने बताया कि किसी भी गर्भावस्था में जहाँ जटिलताओं की संभावना अधिक होती है उस गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेगनेंसी या उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था में रखा जाता है।
इसका पता लगाने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर्स के द्वारा प्रसव पूर्व तीन सम्पूर्ण जांच कराना बहुत जरूरी होता है। जिससे कि समय रहते इसका पता लगाकर, इससे होने वाले खतरों से गर्भवती को बचाया जा सके।
• तेज सरदर्द या धुंधला दिखना
• भ्रूण का कम हिलना या न हिलना
• हाथ-पैरों या चेहरे पर सूजन
• योनि से रक्तस्राव
• उच्च रक्तचाप
• दौरे पड़ना
• त्वचा का पीलापन
• तेज बुखार
• योनि से स्राव