जेट एयरवेज़ वाले नरेश गोयल कभी बरसाती में रहते थे

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जेट एयरवेज के बोर्ड से सपत्नीक इस्तीफा देने वाले नरेश गोयल 1978 के आसपास पंजाब के शहर संगरूर से दिल्ली आए थे। रहने लगे बंगाली मार्किट की एक कोठी की बरसाती में। उन दिनों तक दिल्ली में बरसाती कल्चर था। कई मकान मालिक अपने घरों की दूसरी या तीसरी फ्लोर में एक कमरा बना देते थे। कुछ उसी तरह की बरसाती में नरेश गोयल रहते थे। वहां पर रहते हुए उनकी मुलाकात बंगाली मार्किट की जान बंगाली स्वीट्स के मालिक लाला भीमसेन से होने लगी। वो नरेश गोयल से उसके काम-धंधे का हाल-चाल पूछने लगे।

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नरेश गोयल तब तक बंगाली मार्किट के करीब की रिफ्यूजी मार्किट में जाकर खाना खाते थे। बंगाली मार्किट में खाना खाने के पैसे जेब में नहीं होते थे। हालांकि लाला जी की पत्नी उन्हें घर में कभी-कभार बुलाकर खाना खिला दिया करती थी। लाला जी की पत्नी को पुराने बंगाली मार्किट वाले किसी देवी से कम नहीं मानते।

दिल्ली में कुछ दिनों तक इधर-उधर काम करने के बाद नरेश गोयल ने इराक और कुवैत एयरलाइंस की टिकटों को बेचने का काम चालू कर दिया। तब इराक एयरलाइंस का दफ्तर कस्तूरबा गांधी मार्ग में होता था। देखते-देखते नरेश गोयल का धंधा चमका। गोयल ने मोटा पैसा कमाना शुरू कर दिया। काम चलते ही गोयल ने कृष्णा नगर में एक घर खरीद लिया पर बंगाली मार्किट की बरसाती नहीं छोड़ी।

सरकार ने 90 के दशक में एविएशन सेक्टर में एफडीआई का रास्ता साफ कर दिया। उसके फौरन बाद गोयल ने छोड़ दी दिल्ली और बंगाली मार्किट। फिर तो वो आसमान से बातें करने लगे। नरेश गोयल जेट एयरवेज के प्रमुख प्रोमटरों में से एक थे।