नेता जी, क्या पढ़ लिखकर युवा बस फॉर्म भरेगा या नौकरी भी मिलेगी?
मैं देश का युवा हूँ, वो युवा जिसकी बात सत्ता पाने के लिए नेता जी लोग हर चुनाव में करते हैं। बात बस बात.. असल में कहानी क्या है ये बस मैं जानता हूँ और मेरी तरह वो करोड़ों युवा जो हर दिन जीतोड़ कोशिश करते हैं एक नौकरी के लिए..
फॉर्म आते हैं भरे भी जाते हैं मगर सालों बीत जाते हैं पेपर कराने में, जब तक पेपर होता है तब तक चीजें ऐसी बदल जाती हैं कि छात्र टूट जाता है। पेपर होता भी है तो फिर युवाओं को डर ये सताता है कि परीक्षा परिणाम आएगा भी या नहीं..
क्योंकि हालात अब ये हो चले हैं कि परीक्षा कब कैसे रद्द हो जाये किसी को नहीं पता। 60 से 70 प्रतिशत युवाओं की मंच से बात करने वाले साहब भी करोरों रोजगार की बात किया करते थे मगर न जाने क्या हुआ कि पढा लिखा युवा जब नौकरी न मिलने पर पकौड़े बेच परिवार चलाने लगा तो साहब को ये भी एक रोजगार ही लगने लगा है।