मिलिए अपने शहर के रॉबिनहुड्स से जो अमीरों को लुटे बिना जरूरतमंदों में खुशियां बांटते हैं

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गोरखपुर। आपने लूटेरे रोबिन हुड के किस्से तो बहुत सुने होंगे- किस प्रकार वो अमीरों से लूट कर गरीबों में बाँट देता था? आपको कैसा लगेगा यदि आपको पता चले की आपके अपने शहर में ऐसे रॉबिन्स है? और वो भी एक या दो नही बल्कि बहुत सारे! घबराइये मत, ये अमीरों से लूटते तो नही पर गरीबों में बांटते जरूर हैं!

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राॅबीन हुड आर्मी (RHA) एक स्वयंसेवी संगठन है जिसमें हजारों युवा पेशेवर और नागरिक हैं, जो वैश्विक भूख से लड़ने के लिए अपने खाली समय में सेवादान करते हैं। समूह अधिशेष भोजन रेस्तरां से एकत्र करती है और इसे ज़रूरतमंदों में वितरित किया जाता है।

पिछले 5 वर्षों में RHA ने 33.1 million (3.31 करोड़) से अधिक लोगों को वैश्विक स्तर पर 181 नगरों में भोजन वितरित किया है। यह समूह अब हावर्ड विषय अध्ययन है जिसमें धनराशि कोई स्थान नहीं है यह सिर्फ सोशल मीडिया व सहयोगियों की सहायता से अनवरत आगे बढ़ता आया है।

कोविड -19 के कारण, दुनिया भर में लाखों लोगों ने अपनी आजीविका के बुनियादी साधन खो दिए हैं; आज हमारा समाज भयानक भूख की समस्या से जूझ रहा है। यद्यपि सरकारें और संगठन अपना काम कर रहे हैं, यह हमारे समुदाय के सभी सदस्य के लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपने साथी नागरिकों की भलाई और जीवन की सलामति की ज़िम्मेदारी लें। पिछले साल, रॉबिन हुड आर्मी ने 5 दिनों में 5 मिलियन लोगों की सेवा की थी – आवश्यकता आज और भी बहुत ज़्यादा है।

#मिशन30M नागरिक समाज द्वारा सबसे बड़ा खाद्य राहत प्रयास है – जिसके माध्यम से रॉबिन हुड आर्मी इस सेवा के लिए 10 देशों में व्यापारी समूह, पत्रकार समूह और स्वयंसेवकों को एक साथ लाकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रभावित लोगों में से 3 करोड़ को भोजन उपलब्ध कराएगी। हर RHA पहल की तरह ही प्रत्येक स्वयंसेवक अपने खाली समय में ऐसा करेगा और इसमें कोई मौद्रिक दान यानि पैसों का लेन-देन शामिल नहीं होगा।मिशन को तीन भागों में क्रियान्वित किया जाएगा:

● राशन: भारत, पाकिस्तान, बहरीन, बोत्सवाना, कनाडा, केन्या, मलेशिया, नाइजीरिया, श्रीलंका और युगांडा, में राॅबिंस स्थानीय पड़ोस और 5 गांवों को गोद लेंगे और सेवा करेंगे। हम 15 अगस्त तक 30 मिलियन लोगों को राशन उपलब्ध करवाएंगे। अविकसित व विकासशील ग्रामीण क्षेत्रों, अनाथालय, वृद्धाश्रम, बेघर लोग, बीमार मरीज और दैनिक मजदूर हमारी प्राथमिकता होंगे।