महाशिवरात्रि EXCLUSIVE- भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं बाबा धवलेश्वरनाथ
धुरियापार स्थित धवलेश्वरनाथ बाबा के स्थान पर सावन के महीने तथा शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं द्वारा फल प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना किया जाता है। मान्यता है कि बाबा कि सच्चे मन से दर्शन करने वालों की मुरादें पूरी होती हैं।कहा जाता है कि बाबा ध्वलेश्वरनाथ का ऐतिहासिक शिवलिंग राजा धुर्य चंद (जिनके पर धुरियापार नाम पड़ा) के समय से ही था। अंग्रेजों के जमाने से स्थित नील की कोठी से कुछ ही दूरी पर अंग्रेज उच्चाअधिकारी का आवास था जो अब मात्र अवशेष के रूप में विद्यमान हैं। कहा जाता है कि उच्चाधिकारी का एक भूगर्भशास्त्री मित्र एक बार उससे मिलने नील की कोठी आया। ध्वलेश्वरनाथ मंदिर की अनुपम छटा देख व विस्मय रह गया।उसने महसूस किया कि श्रद्धालुओं द्वारा बाबा को जल चढ़ाने पर सूर्य उत्तरायण हो या दक्षिणायन जल सीधे सूर्य देवता के सम्मुख ही गिरता है।
उसने अपने उच्चाधिकारी मित्र से मंदिर पर शोध के लिए समय मांगा।इजाजत मिलते ही छः महीने कठोर शोध के बाद भूगर्भशास्त्री ने मंदिर के नीचे अकूत खजाना छिपे होने की बात कही।लालच के कारण मंदिर के नीचे से नदी के किनारे की तरफ से मजदूर लगाकर मंदिर को विस्फोटक से उड़ाने का प्रयास किया गया।
विस्फोट इतना जबरजस्त था कि मंदिर का बाल भी बांका ना हुआ ।लेकिन इस कार्य मे लगे मजदूरों को अपनी जान गवाँनी पड़ी।मंदिर के आस-पास की नदी खून से लाल हो गयी।और इस घटना के तुरंत बाद भूगर्भशास्त्री दीवाना बन अपने बाल व कपड़े नोचने लगा।और खुद नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।