कानपुर। इंसान का दिल कब किस पर आ जाए और कब किससे दिल टूट जाए यह कोई नहीं जानता है। इस बात का ताजा उदाहरण कानपुर में देखने को मिला। खाना बांटने वाला युवक अनाथ लड़की को दिल दे बैठा और ब्याह कर उसे अपने घर ले आया।
युवती इतनी गरीब की उसे खाने का भी इंतजाम नहीं था और युवक अपने सेठ के साथ मिलक गरीबों में खाना बांटता था।
खाना बांटते और खाना लेते दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि शादी के अटूट बंधन में बंधकर एक दूसरे के साथ सात जन्म निभाने की कसम खा ली। लॉकडाउन में अपने आप में अनोखी शादी है।
अनिल सामाजिक कार्यकर्ता और प्रापर्टी डीलर लालता प्रसाद की कार चलाता। रोज लालता के साथ गरीबों में खाना बांटने के लिए निकलता था। नीलम मेडिकल कॉलेज पुल के नीचे फुटपाथ पर भिखारियों के बीच में खाना लेने के लिए बैठती थी।
रोज अनिल उसे खाना देता और दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। लालता प्रसाद को इस बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने अनिल को दोनों टाइम खाना पहुंचाने को कहा।
अनिल के घर में पूरा परिवार है। अनिल रोज रात अपने घर में नीलम के लिए खुद खाना बनाकर उसे पुल के नीचे देने जाता था। परिवार वालों को अनिल पर गुस्सा भी आया और उन्होंने कहा कि इतना ही रिश्ता है तो शादी करके ले आओ। अनिल को पहले यह मजाक लगा।
लालता को जानकारी हुई सामाजिक कार्यकर्ता धानीराम पैंथर के साथ मिलकर नीलम के बारे में जानकारी जुटाई। तब पता यह चला कि नीलम के मां और पिता की मौत हो चुकी है। उसके भाई भाभी ने उसे घर से निकाल दिया है।
दोनों तरफ का मन टटोलने के बाद लालता प्रसाद और धनीराम पैंथर ने अनिल के परिवार में बात कर उन लोगों को समझाया। उसके बाद अनिल के पिता ने नीलम से जाकर बात की।