आरपीएन की राह आसन नही होने देंगे विजय दुबे

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आयुष द्रिवेदी लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। कई मौजूदा सांसदों का टिकट भी कट रहा है तो कई दल बदलकर कहीं और से टिकट के जुगाड़ में भी लगे हुए है। बात अगर कुशीनगर की करे तो यहां से वर्तमान सांसद राजेश पाण्डेय का टिकट पार्टी ने काटकर पूर्व विधायक विजय दुबे को दे दिया है। भाजपा की सूत्रों की माने तो राजेश पाण्डेय से कार्यकर्ता बहुत ही नाराज चल रहे थे और इसका खमियाजा उनको टिकट गवाकर भुगतना पड़ा। विजय दुबे के बारे में आपको राजनितिक इतिहास के बारे में बता दे की वह इसके पहले 2009 में भी लोकसभा का चुनाव बीजेपी से लड़ चुके हैं, लेकिन उस वक्त उनको करारी हार का सामना पड़ा था। उस समय विजय दुबे ‘हिन्दू युवा वाहनी’ में काफी सक्रिय थे लेकिन चुनाव हारने के बाद उन्होंने हिन्दू युवा वाहनी से ही बगावत कर लिया। एक तरीके से कहे तो योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। उसके बाद योगी आदित्यनाथ ने विजय दुबे को हिन्दू युवा वाहनी ने निकाल दिया ।
उसके कुछ समय बाद विजय दुबे आरपीएन सिंह के करीब आ गए और RPN सिंह के साथ आने से विजय दुबे को फायदा यही हुआ की उन्हें खड्डा विधानसभा से कांग्रेस ने विधानसभा का टिकट दे दिया। विजय दुबे का व्यक्तिगत जनाधार था इसलिए वह चुनाव जीत भी गए।लेकिन जल्द ही विजय दुबे का कांग्रेस पार्टी से मोहभंग होने लगा और उन्होंने राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर दिया इसके बाद पार्टी आलाकमान उनसे नाराज हो गयी। उसके बाद विजय दुबे 2017 के विधानसभा के कुछ समय पहले ही बीजेपी में शामिल हो गए और खड्डा से दावेदारी ठोक दिया लेकिन बीजेपी आलाकमान ने उनके जगह पर जटाशंकर त्रिपाठी को टिकट दे दिया। उसके बाद भी विजय दुबे भाजपा में सक्रिय रहे और पार्टी के हर छोटे मोटे कार्यक्रम में जाते रहे और जमीनी पकड़ बनाई रखी ।पार्टी ने उनकी सक्रियता देखते हुए उनको 2019 में उनको एक बार फिर से पडरौना संसदीय सीट से उम्मीदवार बना दिया। अब विजय दुबे के चुनाव लड़ने से आरपीएन सिंह की राह आसान दिखती हुई नजर नही आ रही है इसकी २ वजह है पहली की जो भाजपा कार्यकर्ता राजेश पाण्डेय से नाराज थे वह उम्मीदवार बदलने से खुश हैं औऱ दूसरा की कुशीनगर क्षेत्र में उनका व्यग्तिगत जनाधार है।

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