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कांग्रेस ने ओबीसी कार्ड तो खेला था मगर जनता ने नहीं दिया कोई अहमियत

आयुष द्विवेदी

मोदी के प्रचंड लहर में सब धराशायी हो गए। अगर बात कांग्रेस की करे तो वह पूरे प्रदेश में दो या तीन सीटों को छोड़ दे तो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई। बात पूर्वी उत्तर प्रदेश की करे तो जबसे प्रियंका गांधी को प्रभारी बनाया गया तो लोगो को उम्मीद थी कि कांग्रेस के दिन अब बदलेगा लेकिन हुआ उसके ठीक उल्टा। कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में ओबीसी नेताओ ज्यादा तरहीज दिया यह अलग बात है प्रत्याशी के दृष्टि से वह यह कार्ड नही खेला। कांग्रेस पूरे चुनाव में जितने के लिए कही से ऐसा नही लगा कि वह लड़ रही है बस उसके दिमाग मे यह था बीजेपी हार जाए।

यही कारण था लोगो के दिमाग मे यह घर कर गया यह वोट कटवा पार्टी है। अब बात करे इनके नेताओ का तो कांग्रेस ने ओबीसी नेताओ को खूब तरहीज दिया लेकिन वह अपने बिरादरी का वोट भी नही दिला पाए ।युवा कांग्रेस के रास्ट्रीय अध्यक्ष केशव यादव को पार्टी ने सिर्फ इसलिए अध्यक्ष बनाया की वह अपने बिरादरी के साथ साथ ओबीसी वर्ग को जोड़ेंगे ।इनकी स्थिति यह है कि इनके विधानसभा और ब्लॉक में ही कोई नही जानता कि यह सलेमपुर के है और इतने बड़े पद पर है ।कांग्रेस की यहां भी करारी हार हुई।

अजय लल्लु कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता है और यह भी कुशीनगर के रहने वाले है ।जमीनी स्तर पर इनके संघर्ष को लोग लोहा मानते है लेकिन यह भी ओबीसी वोट को अपने पार्टी में नही खिंच पाए । आलम यह था कि मोदी लहर में कांग्रेस के बड़े नेता आरपीयन सिंह कुशीनगर से अपनी जमानत तक नही बचा पाए,,किसानों की बात राहुल गांधी ने खूब जोर शोर से चुनाव में उठाया लेकिन उसके नेता किसान कांग्रेस को तरहीज ही नही दिए,, जबकी हर चुनाव में कोई भी पार्टी किसान और गरीबी उसके एजेंडा में पहले रहता है ।

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