गोरखपुर, 21 अक्टूबर। अगर नमक में सिर्फ आयोडीन नमक का ही सेवन किया जाए तो दस प्रकार के विकारों से बचा जा सकता है । सामान्य शारीरिक वृद्धि के लिए रोजाना 100 से 150 माइक्रो ग्राम आयोडीन का सेवन आवश्यक है । यह संदेश राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जन-जन तक पहुंचाई जा रही हैं । उक्त बातें कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार ने कहीं । उन्होंने बताया कि इस संबंध में जिले भर के अधीक्षक और प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को गुरूवार को जागरूक किया गया और शुक्रवार को भी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की 38 टीम की मदद से स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में जनजागरूकता के कार्यक्रम हुए ।
नोडल अधिकारी और एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय घेघा रोग नियंत्रण कार्यक्रम का नाम वर्ष 1992 में बदल कर राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम रख दिया गया । इस कार्यक्रम का उद्देश्य आयोडीन की कमी से होने वाले सभी विकारों के प्रति लोगों को सजग करना है और उन्हें सिर्फ आयोडीन नमक खाने के लिए प्रेरित करना है । आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो आयोडीन थॉयराक्साईन (टी फोर) और ट्रियोडोथायरोनाइन (टी तीन) जैसे हारमोन्स बनाने के लिए आवश्यक घटक है। यह मनुष्य के सामान्य वृद्धि एवं विकास के साथ ही आरोग्यता में अहम भूमिका निभाता है।
उन्होंने बताया कि आयोडीन की कमी से घेंघा रोग, मंदबुद्धि, तंत्रिकापेशीय दुर्बलता, स्थानिक बौनापन, मृत बच्चा पैदा होना, हाइपोथायरायडिज्म, देखने सुनने व बोलने में विकृति, स्पास्टिसिटी, गर्भावस्था में शिशु की आकस्मिक मृत्यु और मानसिक दिव्यांगता जैसी दिक्कतें होती हैं । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार के दिशा- निर्देशन में इन विकारों और इनसे बचाव के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है । इसी कड़ी में आरबीएसके योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना की देखरेख में स्कूली बच्चों, अध्यापकों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर अभिभावकों को शुक्रवार को कार्यक्रम आयोजित कर जागरूक किया गया ।
वैश्विक समस्या है
नेशनल हेल्थ पोर्टल पर 23 अक्टूबर 2019 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व भर में डेढ़ अरब से अधिक लोग आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों के जोखिम में हैं। करीब 7.1 करोड़ लोग विकारों से पीड़ित हैं। ऐसे में सभी लोगों के लिए आयोडीन नमक का सेवन आवश्यक है।
बच्चों के विकास में सहायक
नोडल अधिकारी ने बताया कि बच्चों के समुचित विकास के लिए उन्हें आयोडीन युक्त नमक ही खाना है और बच्चों को भी यही नमक खिलाना है। ऐसा न करने से जन्मजात शारीरिक एवं मानसिक दिव्यांगता, गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास में कमी, अपंगता, बहरापन, गूंगापन, शरीर में उर्जा की कमी व थकान, बांझपन और मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं पैदा हो जाती हैं ।
टीम ने दिया संदेश
सरदारनगर ब्लॉक के राजकीय आश्रम पद्धित विद्यालय की फार्माशिस्ट आशा कुमारी (67) ने बताया कि आरबीएसके चिकित्सक डॉ शाहनवाज व नेत्र परीक्षक अरूण यादव की टीम ने जागरूकता का संदेश दिया है। करीब 50 बच्चों को जागरूक किया गया और उन्हें आयोडीन नमक का महत्व बताया गया। यह संदेश अभिभावकों तक भी पहुंचाने के लिए बच्चों से कहा गया।