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बाढ़ से बचाव का उपाय ढूंढने के बजाय साहब पंडित जी से लगे पूजा कराने

बस्ती। धन्य हो बाढ़ खण्ड के उच्च अधिकारी बाढ़ से बचाव के लिए सुरक्षित उपाय ढूंढने की बजाय पंडित बुलाकर सरयू नदी तट पर पूजा-पाठ करा रहे हैं। अधिकारी सरयू मां से प्रार्थना कर रहे हैं कि ग्रामीणों को बाढ़ के प्रकोप से बचायें और विभाग का कामकाज ऐसे ही चलता रहे।

अधिकारियों के इस सोच की दाद देनी पड़ेगी। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए अधिकारी कितने सजग और कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार हैं।

बस्ती जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का एक बड़ा हिस्सा हरैया तहसील क्षेत्र में पड़ता है। क्षेत्र का बीडी बांध जिले का अति संवेदनशील बांध माना जाता है। यह सरयु नदी के विकराल रूप धारण करने पर लगभग आधे जिले का सुरक्षा कवच के रूप में मौजूद है। इसी के चलते हरैया तहसील का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा सरयु मैया के प्रकोप से बच जाता है।

लोलपुर-विक्रमजोत तटबंध पर पहुंच प्रमुख अभियंता परिकल्प एवं नियोजन एके सिंह व मुख्य अभियंता गंडक आलोक जैन ने सोमवार को तटबंधों का निरीक्षण किया।

बाघानाला गांव के पास पंडित बुलाकर सरयू नदी तट पर ग्रामीणों को बाढ़ से बचाने के लिए पूजा अर्चना भी किया। उनके साथ अधीक्षण अभियंता अवनीश साहू, अधिशासी अभियंता दिनेश कुमार, सहायक अभियंता ज्ञानधर, अवर अभियंता दयाशंकर, जेबीएल श्रीवास्तव, आरके नायक भी मौजूद रहे।

सरयु नदी के किनारे बीडी बांध, एलबी बांध, कटरिया-चांदपुर, गौरा-सैफाबाद और रामपुर कलवारी तटबंध पर प्रति वर्ष बाढ़ आने पर अधिकारी हाय तौबा मचा कर कागजों में बचाव कार्य के नाम पर लाखों का वारान्यारा करते है।

जुबानी लाखों करोड़ों रुपए कागजों में पानी की तरह बचाव के नाम पर बहा दिये जाते है। जबकि वास्तविकता में कुछ और ही होता है। इस बार तो स्थिति आज से ही काफी भयावह हो गई है।

सरयू नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बन्धा और दरिया के बीच बसे दर्जनों गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। तटवर्ती गांव के लोगों की रातों की नींद गायब हो गई है।

केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार सोमवार की शाम सरयु नदी का जलस्तर 92.90 मीटर मापा गया है, जो खतरे के निशान से 12 सेंटीमीटर ऊपर है।

कटरिया – चांद पुर बंधे के ठोकर नंबर एक के पास पानी का घुमाव यानी उल्टा बहाव होने से लगभग सौ मीटर क्षेत्रफल में अधिक दबाव बना हुआ है।

सुविखा बाबू से कटरिया, बंजरिया सूबी, विशुनदासपुर, खजांचीपुर, गौरा, दिलाशपुरा, दलपतपुर में खेती की भूमि फसलों के साथ कटकर नदी में विलीन हो जा रही हैं। रुक रुककर जमीन का बड़ा बड़ा भूभाग काटकर सरयु मैया अपने में समाहित कर रही है।

अति संवेदनशील कटरिया-चांदपुर व गौरा-सैफाबाद तटबंध के पारा व मटिहा में ठोकरों पर पानी का दबाव बढ़ गया है।

विशुनदासपुर का पुरवा, खजांचीपुर, दिलाशपुर का पुरवा व अशोकपुर के कई छोटे छोटे पुरवे बाढ़ के पानी से घिरकर टापू बन गए। जल स्तर लगातार बढ़ रहा है यहां खाने के साथ पशुओं के चारे की भी समस्या उत्पन्न हो गई है।

रामपुर कलवारी तटबंध पर रामपुर से लेकर टेगरिहा राजा तक दर्जनभर रेनकट बने हुए हैं। कट इतने बड़े हैं कि तटबंध पर पैदल चलना मुश्किल हो रहा है। तटबंध की सुरक्षा के लिए बनी निगरानी चौकी पर ताला लटक रहा है।

जलस्तर बढ़ने से पिपरपाती, चकिया, बैसिया, मटियरिया व कुदरहा गांवों की सैकड़ों एकड़ फसल बाढ़ की जद में आ गई है।

स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि हर साल जून माह में तटबंध के रेनकट भर दिया जाता था, लेकिन इस बार ऐसे नहीं हुआ हो सकता है।

अधिकारी रेन कट भरने के नाम पर कागजी कार्रवाई कर चुके हो मौके पर भले ही काम नहीं हुआ है। बाढ़ खंड अधिकारी मान रहे हैं कि कोई खतरा नहीं है बंधे की सुरक्षा को लेकर जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं।

जलस्तर जिस गति से बढ़ रहा है उसे देखकर लग रहा है कि बुधवार तक काफी गांव जलमग्न हो जाएंगे। किशुनपुर-मोजपुर रिंगबांध तक पानी पहुंच चुका है। टकटकवा गांव की सुरक्षा के लिए बनाए गए रिंगबांध पर पानी का दबाव बढ़ गया है।

तटबंध विहीन गांव के लिए कटान समस्या बनी हुई है। कल्याणपुर, भरथापुर, बाघानाला, चांदपुर, फूलडीह, रिधौरा, लम्ती, रानीपुर, कठवनिया में बाढ़ का पानी धान के खेतों में तेजी से बढ़ रहा है।

कल्याणपुर के ग्रामीणों को प्रशासन पहले ही गांवों से बाहर कर चुका है। उन्हें जबरिया निकला जा रहा था जिसको लेकर काफी नोक झोंक भी हुआ था। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा के समझाने पर गांव वाले माने थे।

यहां स्थित सरकारी विद्यालय का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इसे कब सरयु मैया अपने में समाहित कर लें कुछ कहा नहीं जा सकता है। कल्याणपुर पड़ाव स्थित 12 हेक्टेयर डोंगरा रेजीमेंट (सेना) की जमीन भी जल में पूरी तरह से डूब गई है।

बाढ़ खंड के जिम्मेदार कटान रोकने की कोशिश कागजों में ज्यादा हकीकत में कम कर रहे है। अब सरयू नदी का पानी रिहायसी इलाकों व रास्तों पर भरने लगा है। भरथापुर से बाघानाला व फूलडीह को जाने वाला मार्ग जलमग्न हो चुका है।

बाघानाला भरथापुर में निर्माणाधीन डैंपनर डूब चुके हैं।हालाकि यहां नाममात्र का काम हुआ था भुगतान भले ही इस बाढ़ में कुछ भी हो जाय। इसी लिए बाढ़ आने के समय अधिकारी काम भी शुरू कराते हैं।

प्रशासन ने बनाया बाढ़ नियंत्रण कक्ष जारी किया नंबर

जिला स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) की स्थापना की गई है, जो कोविड-19 कंट्रोल रूम के साथ चलेगा। डीएम आशुतोष निरंजन ने बताया कि कंट्रोल रूम 24 घंटे क्रियाशील रहेगा।

बाढ़ से संबंधित कोई समस्या या सूचना, जिला बाढ़ कंट्रोल रूम नंबर 05542-245725, 245262 व तहसील हर्रैया कंट्रोल रूम नंबर 05542- 235316, 6307632823 पर दिया जा सकता है।
रिपोर्ट: दिलीप पांडेय

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