बनारस में इतने शव जले की शवदाह गृह के ब्लोअर का पंखा तक पिघल गया, रुका अंतिम संस्कार

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यूपी में भी कोरोना के कहर चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। वाराणसी और आसपास के जिलों में कोविड मरीजों के मरने का दौर लगातार जारी है।

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वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर बने गैस शवदाह गृह में चौबीसों घंटे शवदाह किया जा रहा है। जिसके चलते शवदाह गृह के ब्लोअर का पंखा पिघल गया। जिससे बुधवार से ही कोविड शवों के दाह संस्कार का काम रूका हुआ है।

शवदाह गृह के फर्नेस के ब्लोअर में लगा पंखा पिघलने के बाद मशीन को रिपेयर करने की कोशिश शुरू हो गई है।

उम्मीद जताई जा रही है कि आज शाम (गुरुवार) तक यह फिर से शुरू हो जायेगी। इस दौरान कोविड शवों का हरिश्चंद्र घाट पर दाह संस्कार किया जा रहा है।

आपको बता दें कि वाराणसी में पूर्वांचल के कोने कोने से शवदाह के लिए शव आते हैं और महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर, हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार होता है।

कोविड काल में हरिश्चंद्र घाट और वहां स्थित प्राकृतिक गैस शवदाहगृह में ही कोविड शवों का अंतिम संस्कार निर्धारित किया गया है। लेकिन शवों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा है और लगातार चौबीसो घंटे शवदाह का काम चल रहा है।

जिसके चलते अब कल सुबह सबसे पहले प्राकृतिक गैस शवदाहगृह का पहला फर्नेस बंद पड़ गया तो कल शाम को दूसरा फर्नेंस जवाब दे गया।

जब जिम्मेदार अधिकारियों ने इसकी छानबीन की तो पता चला कि दोनों ही फर्नेस में लगे ब्लोअर के पंखे लगातार चलते रहने और हीट की वजह से टेढ़े हो चुके थे।

लिहाजा आज सुबह से ही दोनों ही फर्नेंस की रिपेयरिंग का काम चल रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि गुरुवार की शाम रात तक एक बार फिर काम शुरू हो जाएगा।

प्राकृतिक गैस शवदाहगृह में पूरे 24 घंटे में औसतन 21-22 कोविड शवों का अंतिम संस्कार हो पाता है. लेकिन अब कल से ही कोविड शव हरिश्चंद्र घाट पर लकड़ियों के सहारे ही जलाए जा रहें हैं। जिससे वहां भी लोड बढ़ गया है।