गोरखपुर नगर निगम को राजघाट पुल की जालियों को बयानों से ढकना महंगा पड़ा, अब उन्हें अपना यह फैसला वापस लेना पड़ा है।
यहां श्मशान घाटों के बाहर नगर निगम ने बड़े-बड़े बैनर टांग कर तस्वीरें लेने को दंडनीय अपराध बता दिया था।
बैनरों पर लिखा था कि ‘यहां तस्वीरें लेना दंडनीय अपराध है।’
जाहिर है कि इसे मौतों के आंकड़े छिपाने की प्रशासन की कोशिश के तौर पर देखा गया।
गोरखपुर लाइव में इस खबर को प्रमुखता से उठाते हुए अपने पेज पर इसका एक वीडियो शेयर किया था।
सोशल मीडिया में नगर निगम के इस कदम की जमकर आलोचना शुरू हो गई तो रातों-रात इन बैनरों को हटा भी लिया गया।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के श्मशान घाटों से अक्सर ऐसी तस्वीरें और वीडियो आते रहे हैं।
इन तस्वीरों और वीडियो में बड़ी संख्या में चिताएं जलती दिखाई देती हैं। लोग प्रशासन पर कोरोना को काबू करने में नाकाम रहने के आरोप लगा रहे हैं।
कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन, दवा हर चीज की किल्लत के बीच श्मशान घाटों के बाहर ऐसे बड़े-बड़े बैनर लगे तो लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन मौतें रोकने से ज्यादा उन्हें छिपाने पर अपनी उर्जा खर्च कर रहा है।
इसी आरोप के साथ लोगों ने नगर निगम के इस कदम की जमकर आलोचना शुरू कर दी।
बैनरों पर यह लिखा था
श्वदाह घाटों के बाहर नगर निगम ने ऐसे कई बैनर लगाए थे।
इन बैनरों पर लिखा था- ‘शवदाह गृह पर पार्थिव शरीर का दाह संस्कार हिंदू रीति रिवाज के अनुसार किया जा रहा है। कृपया फोटोग्राफी/ वीडियोग्राफी ना करें। ऐसा करना दंडनीय अपराध है।’
लोगों का कहना है कि गोरखपुर नगर निगम बैनर लगाकर यह जताने की कोशिश कर रहा है कि यदि आपने यहां पर तस्वीरें लीं तो पकड़े जाने पर आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
जब इन बैनरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं और सरकार और प्रशासन की चौतरफा आलोचना शुरू हुई तो रातों रात इन बैनरों को हटा दिया गया।