विश्वजीत। देश भर में कोरोना संक्रमण के आंकड़े जब 21 लाख के पार, वहीं उत्तर प्रदेश में 1 लाख के पार है ऐसे बढ़ते संक्रमण के बीच रविवार को उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्रों पर जबरजस्त भीड़ नज़र आई।
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इस दौरान किसी को फिजिकल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रहा और जिन्हें रहा भी वे इस माहौल में कुछ कर नहीं पाए। बस भीड़ का हिस्सा भर बनकर रह गए।
सुबह परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे अभ्यर्थियों ने शुरू में तो लाइन लगाई लेकिन संख्या बढ़ने के बाद देखते ही देखते वो लाइन भीड़ में बदल गयी।
अभ्यर्थियों ने परीक्षा केंद्रों के गेट पर चस्पा लिस्ट में अपने बैठने की जगह देखी। इसके बाद वे इसी तरह परीक्षा देने केंद्रों के अंदर गए। पहली पाली की परीक्षा खत्म होने के बाद एक बार फिर गेट और शहर की सड़कों पर परीक्षार्थियों की भीड़ नज़र आने लगी।
आपको बता दें पूरे गोरखपुर बस्ती मंडल में 30,599 अभ्यर्थियों को इस प्रवेश परीक्षा में शामिल होना था। वहीं अकेले गोरखपुर जनपद में 52 केंद्रों पर 25,700 अभ्यर्थियों को शामिल होना था। लेकिन कई अभ्यर्थियों ने कोरोना संक्रमण के कारण तथा अन्य कारणों से परीक्षा छोड़ दी।
इसके बावजूद भी परीक्षा केंद्रों पर बड़ी संख्या में पहुंचे अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रख पाना मुश्किल हो गया।
बीएड प्रवेश परीक्षा के नोडल अधिकारी प्रो. राजवंत राव ने बताया कि मंडल के तीन जिलों गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर में 68 परीक्षा केंद्रों पर कुल 30,599 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। परीक्षा केंद्रों पर सभी कमरों की निगरानी वेबकास्टिंग के जरिए की गई।
गोरखपुर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को नोडल सेंटर बनाया गया है। कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते इस परीक्षा में मास्क अनिवार्य कर किया गया। बिना मास्क लगाए अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया गया।
केंद्रों को सुरक्षा के लिए विशेष रकम
सभी अभ्यर्थियों को मास्क, ग्लव्स तथा निजी उपयोग के लिए सेनेटाइजर रखने के निर्देश दिए गए थे। परीक्षा केंद्रों को थर्मल स्कैनर, सैनेटाइजर आदि के लिए अलग से रकम दी गई थी। परीक्षा केंद्रों पर ये इंतजाम तो देखने को मिले लेकिन फिजिकल डिस्टेंसिंग का ख्याल पीछे छूट गया।
बता दें कि कोरोना महामारी के संक्रमण से बचाव को प्राथमिकता देते हुए प्रशासन ने 300 परीक्षार्थियों वाले केन्द्रों को 6 हजार रुपये तथा 500 परीक्षार्थियों वाले केन्द्रों को 10 हजार रुपये आवंटित किए गए थे।