भगवान को कोसते-कोसते टॉप कर गया UPSC की परीक्षा और बन गया IAS..

1098
Advertisement

यूपीएससी 2018 की परीक्षा में दूसरा स्थान लाने वाले अक्षत जैन का कहना है कि किसी भी चीज को पाने के लिए “जान लगा दो या फिर जाने दो.” आज हम आपको अक्षत बारे में बताने जा रहे हैं कैसे 23 साल की उम्र में उन्होंने यूपीएससी की कठिन परीक्षा को न सिर्फ पास किया बल्कि दूसरा स्थान भी हासिल किया. उन्होंंने एक इंटरव्यू में अपने स्कूल टाइम के बारे में बताया कैसे स्कूल के आखिरी साल में वह मुश्किल दौर से गुजरे. आइए जानते हैं, उन्होंने अपने बारे में क्या बताया.

Advertisement

अक्षत का ये दूसरा प्रयास था. उन्होंने बताया कि 11वीं-12वीं के दो साल मेरी जिंदगी के सबसे कठिन साल थे. वहीं इन दो सालों में जो मैंने सीखा वही यूपीएससी के दूसरे प्रयास में अपनाया है. अक्षत ने बताया मैंने करियर के लिए आईआईटी को चुनने के लिए फैसला किया. जिसके बाद मैंने कोचिंग लेनी शुरू कर दी. उस समय टेस्ट में मेरे इतने अच्छे मार्क्स नहीं आते थे, वहीं धीरे-धीरे मुझे भी ये बात महसूस होने लगी कि कितनी भी मेहनत कर लूं रिजल्ट सही नहीं आ रहा है. जिसके बाद चिंता होने लगी. वहीं जब मेरे माता-पिता चिंतिंत होने लगे तो ये देखकर मुझे काफी दुख हुआ. वहीं दूसरी ओर मेरे रिजल्ट में कोई बदलाव नहीं आ रहा था. उस समय मन में ख्याल भी आया था क्या साइंस से कॉमर्स में स्विच कर लेना चाहिए?

अक्षत ने बताया कि हालत इतनी बुरी थी कि मैं जब सोने जाता था तो रोता था. क्योंकि मैं अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा था. उस समय मैं भगवान को कोसता था. मैं भगवान से बात करता था. भगवान से बात करते-करते, उन्हें कोसते-कोसते मैं खुद को रोते-रोते सुला देता था. ये मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल वक्त था. उन्होंने कहा 12वीं में भी मुझमें कोई इंप्रूवमेंट नहीं आई, मैं जहां था वहीं रहा. मेरे पिताजी के सामने एक टीचर ने कहा था कि जिस तरह से तुम्हारी तैयारी चल रही है IIT में तुम्हारी रैंक 20,000 हजार के पार आएगी. ये वो पल था जैब मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी.

Advertisement

अक्षत ने बताया जेईई परीक्षा का जब टाइम आया उस समय मैंने खुद से महसूस किया कि ये मुझसे नहीं हो पाएगा और कहीं न कहीं मेरे माता-पिता भी ये बात जानते थे. जिसके बाद मैंने बिट्स पिलानी की परीक्षा देने का फैसला किया और जब परीक्षा का रिजल्ट आया तो उसमें मैं सबसे पीछे था. जिसके बाद मैंने किसी प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले लिया और पूरी तरह से खुद को रिलेक्स किया और मैंने टेंशन लेना छोड़ दिया. ये वो पल जब मैंने खुद से कहा “होगा तो होगा और नहीं हुआ तो ऐसा नहीं कि जिंदगी खत्म हो जाएगी”. बिना टेंशन के मैंने जेईई की परीक्षा दी. रिजल्ट में मेरी रैंक 4700 रैंक आई थी. उस समय मुझे महसूस हुआ कि भगवान काफी दयालू है. मेरा दाखिला IIT गुवाहटी में हुआ. अक्षत जैन ने कहा कि मैंने सीखा कि मेहनत का फल जरूर मिलता है वो भी सही समय पर.

जेईई परीक्षा की तैयारी के दौरान मैं मेहनत तो कर रहा था, लेकिन रिजल्ट नहीं आ रहा था. उसका एक कारण था कि मैं उस परीक्षा की नस नहीं पकड़ रहा था. ऐसे में यूपीएससी की परीक्षा के दौरान सबसे इसे बारिकी से समझा. अक्षत ने कहा यूपीएससी की तैयारी के दौरान मैंने सोच लिया था कि अपनी एनर्जी किसी भी फालतू चीजों में नहीं लगने दूंगा. नहीं सोचूंगा कि कहां फंस गया हूं. ये करने की क्या जरूरत थी और क्यों किया. मैं सिर्फ इस बारे में सोचूंगा कि मैं क्या अपने टारगेट अचीव कर पा रहा हूं या नहीं.

साभार: आज तक

Advertisement
Advertisement