अयोध्या में जन्मे श्रीराम तो मना उत्सव

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हाटाबाजार. कौडीराम विकास खण्ड के गम्भीरपुर मे श्री आदर्श रामलीला समिति गम्भीरपुर के तत्वावधान में चल रही रामलीला के दूसरे दिन श्रीराम के जन्म का मंचन हुआ। महाराज दशरथ के दरबार से रामलीला की शुरूआत हुई। महाराज दशरथ पुत्र वियोग में दुखित मन से अपने मंत्रियों के साथ अपने सिंहासन पर बैठे है उनको परेशान देखकर मंत्री सुमन्त कुलगुरु बशिष्ठ के पास चलने की बात कही कि वहां जाने से बशिष्ठ जी कोई उपाय बताएंगे।

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गुरु बशिष्ठ के कहने पर अंगदेश से पुत्रेष्ठि के ज्ञाता श्रृंगी ऋषि को बुलाकर यज्ञ किया गया तदोपरांत महल में चार पुत्र पैदा हुये माँ कौशल्या ने श्री राम को जन्म दिया चारो तरफ उत्सव का माहौल हो गया राजा दशरथ ने सारे खजाने खोलकर अपने राज्य में याचको को लुटाने को कहा महाराज के खुशी का ठिकाना नही रहता है।उधर राक्षसो के अत्याचार से साधु संत पूजा पाठ नही कर पा रहे है।ऋषि विश्वामित्र ने राक्षसों के अत्याचार से विवस होकर राम लक्ष्मण को अपने यज्ञ की रक्षा के मांगने राजा दशरथ के पास जाते है काफी दुःखी मन से दशरथ राम लक्ष्मण को विश्वामित्र के भेजते है।इधर कुटिया के तरफ जाते हुये राम लक्ष्मण की भेंट ताड़का नामक राक्षसी से होती गुरु के आदेश से राम ने ताड़का का वध कर दिया इसकी सूचना जब मारीच और सुबाहु जैसे मायाबी राक्षसों को होती है तो वह अपनी सेना लेकर श्री राम से तड़का के वध का बदला लेने चल देते है लेकिन राम और लक्ष्मण ने वड़ी वीरता के साथ राक्षसों का संघार किया और श्रीराम ने बिना फर का बाड़ मारकर मारीच को सौ योजन दूर पहुँचा दिया जिससे राक्षसों में भय ब्याप्त हो जाता है यही पर लीला विश्राम लेती है।।
मुख्य रूप से डॉ महंथ सिंह,संतकुमार सिंह,जोगिन्दर सिंह,विक्रम सिंह,जगदीश प्रशाद, काली पाठक,संदीप सिंह,बबलू सिंह,सतेंद्र जी,मन्नू जी सहित क्षेत्र के तमाम लोग मौजूद थे।