कोरोना की सावधानी केवल टीवी तक ही सीमित, चुनावी रैलियों में जमकर नियमों की उड़ रही धज्जियां!

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नीतीश गुप्ता, गोरखपुर। “कोरोना” पिछले साल जब ये शब्द लोगों की कानों में पड़ा था तो लोग समझ ही नहीं पाए थे कि आखिर ये है क्या? बस एक जवाब मिलता था कि कोई खतरनाक विदेशी वायरस है जो चीन से निकला है और पूरे विश्व को अपने आगोश में ले रहा है। वायरस इतने तेजी से फैलने लगा कि सरकार को देशभर में लॉक डाउन लगाना पड़ गया।

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लॉक डाउन इतने महीनों तक लगा रहा कि लोगों की कमर टूट गई। शुरुवात में 15 से बीस दिनों तक तो दूर दराज फंसे लोगों ने सरकार का साथ दिया मगर जब हिम्मत टूट गयी तो सारे नियमों को तोड़ कर लाखों लोग निकल पड़े थे अपने घरों की ओर। जिन ट्रकों में समान लादे जाते थे उसमें लोग भर भर आने लगे।

जिन्हें साधन मिला तो ठीक वरना हजारों किलोमीटर पैदल ही गंतव्य की ओर निकल पड़े थे लोग, वो तस्वीरें जिसने भी देखी थी जबकि आंखे नम हो गयी थी। छोटे छोटे बच्चे जिन्हें अभी ठीक से चलना भी नहीं आया था वो भी अपने परिवार संग पैदल सफर करते नजर आए थे।

हजारों श्रमिकों ने तो साईकल, ठेला, बैलगाड़ी आदि से हजारों किलोमीटर की यात्रा तय की थी। खैर ये सब चलता रहा देश में मरीजों की संख्या बढ़ती रही, नियम कानून बनते रहे और फिर समय आ गया चुनाव का। नवंबर के महीने में बिहार विधानसभा चुनाव होने थे, अब चुनाव था तो प्रचार प्रसार होगा ही।

क्या केंद्र में बैठी सरकार, क्या राज्य में बैठी सरकार और क्या विपक्ष के नेता और अन्य राजनीतिक दल सभी ने कोरोना को साइड कर कोरोना के हर नियम कानून की जमकर धज्जियां उड़ाई।

रैलियों का आयोजन होने लगा दिल्ली,महाराष्ट्र,यूपी से बड़े बड़े नेता जी लोग हेलिकॉप्टर से प्रचार करने बिहार पहुँचने लगे। जमकर भीड़ होने लगी, नेता जी लोगों के द्वारा तमाम बड़े बड़े वादे किए जाने लगे और फिर समय आया वोटिंग का। वोटिंग हुई और फिर परिणाम आया जीत एनडीए की हुई और फिर से बिहार की कमान नीतीश कुमार के हाथ आयी।