पूर्वांचल के किसानों पर कांग्रेस का फोकस, बदल सकतें हैं नतीजे

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गोरखपुर। पिछले साल हुए तीन बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा को अचानक किसानों की सुधि आई है। कारण कि ये है की तीनों राज्य किसान बहुल हैं और खेती-किसानी की ही यहां की प्रमुखता है। इस परिणाम ने भाजपा को झटका दिया और पार्टी को कहीं ना कहीं लगा कि किसान उससे नाराज है। इसी के मद्देनजर उसने पांच हेक्टेयर से कम जोत वाले किसानों को सालाना छह हजार रुपये सालाना देने जैसी कई लुभावने योजनाओं का ऐलान किया। हालांकि गोरखपुर लाइव की पड़ताल में बहुत से किसान भाजपा सरकार से अब भी संतुष्ट नहीं दिखे। जहां भाजपा ने किसानों को साधने के लिए सक्रियता दिखाई वहीं कांग्रेस ने भी किसानों पर फोकस किया है।

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उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल कृषि मामले में काफी बदहाल है। यहां के किसान कम जोत वाले और संसाधनों में काफी पिछड़े हैं। नवनियुक्त पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गाँधी को भी ये बात समझ में आगयी की किसानों को अपने पाले में करने के बाद उनके लिए चुनाव काफी आसन हो जायेगा। यही वजह है की हाल ही में किसान कांग्रेस कमेटी संगठन को नये सिरे से तैयार किया गया और पूर्वी उत्तर प्रदेश किसान कमेटी की कमान अखिलेश शुक्ला को दी गयी जो पूर्वी उत्तर प्रेदश की जमीनी हकीकत से भली भांति परिचित हैं. अखिलेश शुक्ला ने गोरखपुर लाइव से बातचीत में बताया की “भाजपा ने किसानों के लिए 5 सालों में कुछ नही किया। ना किसानो को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल रहा है ना ही समय से खाद बीज मिल पा रहें है। नीम कोटेड यूरिया के नाम पर हर बोरी से पांच किलोग्राम खाद निकाल ली गई।अंत में इन लोगों को जब हार सामने दिखने लगी तो इन लोगों ने 6000 रूपये का लालीपोप थमा दिया. लेकिन किसान भी जानता है की ये 6000 रूपये भी 15 लाख की तरह सिर्फ जुमला ही है” अखिलेश शुक्ला आगे बताते हैं कि वो कांग्रेस किसान कमेटी के अध्यक्ष बनाए जाने बाद से ही किसानों के बीच काफी सक्रिय है। किसानों का कांग्रेस के प्रति काफी झुकाव देखने को मिल रहा है किसान इस बार कांग्रेस की सरकार चाहते हैं।

अखिलेश शुक्ला, प्रेदश अध्यक्ष किसान कांग्रेस

आपको बता दें कि पदभार ग्रहण करने के बाद से ही गांव-गांव किसानों बीच अखिलेश सक्रिय हैं और किसानों को कांग्रेस के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

किसानों का रुख जानने के लिए गोरखपुर लाइव ने पूर्वांचल के अलग अलग हिस्सों के कुछ किसानों से बात की। कुशीनगर के बाभनौली गांव में रहने वाले सुरेश खेती करते हैं और उसी से अपना घर चलाते हैं। बकौल सुरेश मोदी ने 2014 में कहा था कि चुनाव जीतने के बाद पडरौना चीनी मिल किसी भी हाल में चालू कराया जाएगा। लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी सुरेश मायूस हैं।

पडरौना चीनी मिल

वहीं बस्ती के रामप्रीत कहते 2 बीघा जमीन में खेती करते हैं, उनके बच्चे मुंबई में मजदूरी का काम करते हैं। उनका कहना है कि उनके फैसलों के उपज का सही दाम नहीं मिला, पिछले 5 सालों में बिचौलियों पर भी कोई लगाम नहीं रहा। लड़के मुंबई से पैसा भेजते हैं तभी घर का खर्च चल पता है। खेती से तो जितना निकलता है उससे ज्यादा उसमें लग जाता है। रामप्रीत के अनुसार उन्हें मोदी से बहुत उम्मीदें थीं लेकिन सब उम्मीद अब टूट चुकी है.

खेतों के खाद डालते किसान

गोरखपुर के खोराबार ब्लॉक में रहने वाले गंगा यादव खेती के साथ ग्वाला का भी काम करते हैं। उनका कहना है कि खेती मजबूरी में करते हैं, वरना भाजपा ने किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा है। किसानों के लिए कुछ नहीं किया और आखिर में 6000 रुपए देने की घोषणा कर के वो सोचते हैं कि किसान हमें वोट करेगा तो वे गलत सोच रहे हैं। गंगा बताते हैं की खेती की हालत है कि घर का खर्च दूध बेच कर चलता है।