यूपी में नंबर-1 बना सीएम सिटी गोरखपुर, नए जॉबकार्ड बनाने में हासिल किया मुकाम

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गोरखपुर। कोरोना की महामारी के दौरान गोरखपुर में प्रदेश के दूसरे हिस्सों से आए श्रमिकों को मनरेगा रोजगार से जोड़ने के मामले में पूरे प्रदेश में गोरखपुर को पहला स्थान हासिल हुआ है। लॉक डाउन के कारण गैर प्रांतों में बड़ी संख्या में रोजगार गवां चुके हजारों लोगों के लिए जिला प्रशासन ने प्रदेश में सबसे पहले उन्हें मनरेगा से जोड़ते हुए रोजगार कर सृजन किया है। गोरखपुर को मिली इस सफलता में युवा और महिला मुख्य विकास अधिकारी हर्षिता माथुर का विशेष योगदान है। जो जिले के खंड विकास अधिकारियों को एक्टिव करते हुए इस रिकॉर्ड को गोरखपुर के नाम दर्ज कराने में सफल हुई हैं।

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सीडीओ: हर्षिता माथुर

जिन मजदूरों के पास सक्रिय जॉब कार्ड है उन्हें तत्काल रोजगार उपलब्ध करा दिया गया है। इसके अलावा निष्क्रिय जॉब कार्ड धारको भी सक्रिय करके उन्हें काम दिया जा रहा है। जिले के 20 विकास खंडों में 10670 नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं। जबकि 655 नवीनीकृत जॉब कार्ड भी बने हैं। 1352 ग्राम पंचायतों और 3509 राजस्व गांव के 6567 मजरों पर इस जॉब कार्ड के आधार पर कार्य होने हैं। जिनमें 1059 ग्राम पंचायतों में कार्य शुरू हो गया है। जिसमे 37348 श्रमिक कार्यरत हैं।जिसके लिए 1.60 करोड़ रुपये का भुकतान भी किया गया है।

सीडीओ हर्षिता माथुर ने कहा है कि संक्रमण के इस दौर में मनरेगा के तहत ऐसे व्यक्तियों को प्राथमिकता पर कार्य दिए जा रहे हैं। इसके लिए 1 मई अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस से 5 दिनों का अभियान चलाया गया था। प्रत्येक क्वॉरेंटाइन सेंटर पर नामवार ग्राम रोजगार सेवक की ड्यूटी लगाकर मजदूरों का नामांकन कराकर उन्हें जॉब कार्ड उपलब्ध कराया गया है।

नए जॉब कार्ड बनाने के मामले में इसलिए जिला प्रदेश में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के कारण बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर जिले में जिले में आ रहे हैं। ऐसे में इन्हें गांव स्तर पर ही शासन की मंशा के अनुरूप प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।