गोरखपुर, 05 मई। पहली बार जब महिला गर्भधारण करती है तो घर में खुशियों का माहौल होता है और पहला बच्चा होने के बाद खुशी से सराबोर इन पलों में कई बार कुछ चूक भी हो जाती है । पहले बच्चे के तुरंत बाद परिवार नियोजन के किसी साधन का चुनाव न करने से तीन साल पहले ही पुनः गर्भधारण भी एक ऐसी चूक है जो मां और बच्चे दोनों की सेहत पर नकारात्मक असर डालती है।
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इस समस्या के प्रति योग्य दंपति को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग वीडियो संदेश का सहारा ले रहा है । दो मिनट छह सेकेंड के इस वीडियो संदेश में बताया गया है कि प्रसव के डेढ़ माह बाद ही मां के पुनः गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए परिवार नियोजन के किसी न किसी साधन का चुनाव आवश्यक है ।
शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू बताती हैं कि प्रसव के बाद स्तनपान कराने और प्रसव के कारण मां में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है । इसे पूरा होने में औसतन तीन साल का समय लग जाता है । ऐसे में पहले प्रसव के बाद दूसरी बार गर्भधारण तीन साल के अंतराल पर ही करना चाहिए।
प्रसव के बाद जल्दी गर्भधारण से मां और नवजात शिशु के साथ साथ होने वाले बच्चे पर भी नकारात्मक असर पड़ता है । मां में एनीमिया और कुपोषण जबकि बच्चे का कम वजन का पैदा होना, शीघ्र गर्भधारण का दुष्परिणाम हो सकता है। पहले बच्चे को भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है और अक्सर उसका स्तनपान भी बंद हो जाता है, जिससे उसका विकास भी नहीं हो पाता।
खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्वेता पांडेय ने बताया कि वीडियो संदेश ब्लॉक के तीन सौ से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं खासतौर पर आशा, एएनएम व सीएचओ के बीच साझा किया जा चुका है ।
उनसे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ द्वारा साझा किये गये इस वीडियो संदेश को लाभार्थियों तक अवश्य पहुंचाए ।
इसी ब्लॉक क्षेत्र की अमहिया गांव की (32) आशा कार्यकर्ता रंजना बताती हैं कि पहले लाभार्थी को परिवार नियोजन के प्रति प्रेरित करने में दिक्कत होती थी लेकिन वीडियो संदेश के जरिये उन्हें समझाना आसान होता है। ऐसे संदेश को हम योग्य दंपति को व्यक्तिगत तौर पर फारवर्ड कर देते हैं।
नहीं हो सका बच्चे का विकास
महानगर से सटे नौसढ़ की रहने वाली राधिका (26) (बदला हुआ नाम) की शादी मई 2019 में हुई। उन्होंने जानकारी के अभाव में परिवार नियोजन के किसी साधन का इस्तेमाल नहीं किया और उनको पहला बेटा वर्ष 2020 में पैदा हुआ। उन्होंने साधन इस्तेमाल न करने की गलती दोबारा की और नतीजा यह हुआ कि साल भर के भीतर दोबारा गर्भधारण हो गया।
वह बताती हैं कि इसका नुकसान यह हुआ कि पहले बेटे का स्तनपान बंद हो गया और उसका शारीरिक विकास नहीं हो सका । दूसरी बच्ची वर्ष 2021 में हुई। एक परिचित की सलाह पर पिपरौली सीएचसी पर जाकर आईयूसीडी के साधन का चुनाव कर लिया।
वह बताती हैं कि दो बच्चों के बाद जो निर्णय उन्होंने लिया अगर पहले बच्चे के बाद ही ले लिया होता तो उनका बड़ा बेटा कम से कम दो साल तक स्तनपान कर पाता । जो गलती उन्होंने की वह किसी और को नहीं करना चाहिए ।
इन साधनों का कर सकते हैं चुनाव
• एक बच्चे के बाद दूसरा बच्चा न चाहने वाली महिला प्रसव के तुरंत बाद या सात दिन के भीतर नसबंदी करवा लें ।
• तीन साल बाद दूसरे बच्चे की इच्छा रखने वाले दंपति प्रसव के तुरंत बाद कंडोम, छाया या पीपीआईयूसीडी का चुनाव करें।
• प्रसव के डेढ़ महीने बाद अंतराल आईयूसीडी,अंतरा, स्थायी साधन नसबंदी का भी चुनाव किया जा सकता है।
आशा को प्रोत्साहन राशि का प्रावधान
अगर किसी आशा के प्रयास से कोई महिला शादी के दो साल बाद गर्भधारण करती है तो आशा को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। साथ ही यदि आशा की बात मानकर कोई दंपति अपने दो बच्चों में तीन वर्ष का अंतर रखता है तो संबंधित आशा को 500 रुपये दिए जाते हैं। एक या दो बच्चों के बाद आशा की प्रेरणा से यदि कोई दंपति नसबंदी अपनाता है तो 1000 रुपये अतिरिक्त देने की योजना है।