पडरौना वाले BJP विधायक ने थामा सपा का हाथ, कहा बेरोजगारों के साथ पार्टी का व्यवहार उपेक्षित था

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लखनऊ। कभी बसपा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल चुके और कई बार के विधायक और मौजूदा योगी सरकार के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी से इस्तीफा देकर चुनाव से पहले सबको आश्चर्य चकित कर दिया है। आचार संहिता लगने के बाद जिस तरह से सत्ताधारी दल बीजेपी को उसी के कई विधायक छोड़ कर विपक्ष का दामन थाम रहे ये कहीं न कहीं चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने के लिए काफी है।

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स्वामी मौर्य का कद बड़े नेताओं में गिना जाता है ये माना जाता है कि वो सियासी मौसम वैज्ञानिक हैं जिन्हें चुनाव से पहले ही परिणाम का अंदाजा हो जाता है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2016 में बसपा से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था जिसके बाद पार्टी ने उन्हें कुशीनगर जिले के पडरौना विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उसके बाद श्रम मंत्री।

आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा में आंकड़ा जारी करते हुए बताया था कि प्रदेश में बेरोजगारी दर बढ़ कर दोगिनी हुई है। इस बयान के बाद योगी सरकार को विपक्ष ने खूब कायदे से घेरा भी था कि योगी सरकार प्रदेश में रोजगार देने का झूठे वादे करती है क्योंकि उनके खुद के मंत्री प्रदेश में बेरोजगारी दर दोगिनी बता रहे।

राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो स्वामी मौर्य काफी दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे, ये माना जा रहा था कि पार्टी हाई कमान उनकी बातों को नहीं सुन रहा था। तभी आज जब स्वामी मौर्य ने इस्तीफा पत्र दिया तो उसमें ये साफ लिखा था कि दलितों, पिछड़ों, नौजवान बेरोजगारों, किसानों, व्यापारियों के साथ सरकार का उपेक्षित व्यवहार था इसलिए वो पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं।

खैर चुनाव से पहले जिस तरह से स्वामी मौर्य ने बीजेपी से इस्तीफा दिया और सपा का दामन थाम लिया तो अब देखना होगा कि क्या उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य जो कि बीजेपी से ही बंदायू की बीजेपी सांसद हैं वो भी पार्टी छोड़ती हैं या यथावत बनी रहेंगी।

लेकिन इन सब के बीच एक चीज तो तय है कि जिस तरह से कई विधायक बीजेपी छोड़ अन्य दलों का साथ पकड़ रहे हैं उससे अब देखना होगा कि आने वाले समय मे मतदान के दौरान इसका क्या असर होता है और जब 10 मार्च को नतीजे घोषित होंगे तो देखना होहगा की सिकार किसकी बनेगी?