BRD कोविड वार्ड फुल होने के बाद जागा प्रशासन, अब टीबी हॉस्पिटल बनेगा लेवल 2 अस्पताल

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गोरखपुर। गोरखपुर बस्ती मंडल के इकलौते कोविड-19 लेवल टू और लेवल 3 के अस्पताल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सभी 200 बेड फुल होने के बाद शहर के पूर्वी छोर पर एयरपोर्ट के पास के 100 बेड टीबी अस्पताल को कोविड-19 का लेवल-टू के अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस अस्पताल में 100 बेड है।

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यहां पर जिला अस्पताल से डॉक्टरों की ड्यूटी भी लगा दी गई है। इस अस्पताल में तीन शिफ्ट में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ तैनात रहेंगे। जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला किया गया है।

रविवार को कमिश्नर जयंत नारर्लिकर, डीएम के. विजयेंद्र पांडियन और सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी टीबी हॉस्पिटल पहुंचे।

उन्होंने अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया। अस्पताल में मौजूद इंतजामों को देखा। इसके बाद अस्पताल में ही बैठक कर अधिकारियों ने फैसला किया।

लेवल 2 अस्पताल में हल्के लक्षणों वाले कोरोना मरीज होंगे भर्ती

गोरखपुर में जुलाई में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अब तक करीब 650 से अधिक संक्रमित मरीज जुलाई में सामने आ चुके हैं। कल ही 100 से अधिक शुरू नवाज के मरीज पाए जाने के बाद मरीजों का आंकड़ा 1100 के पार चला गया।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज व रेलवे हॉस्पिटल फुल हो चुके हैं। स्पोर्ट्स कॉलेज में कुछ बेड ही बचे हैं। इसको देखते हुए प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं।

फौरी तौर पर टीबी अस्पताल को लेवल-टू हॉस्पिटल बनाने का फैसला किया गया। यहां आवश्यक संसाधनों को मुहैया करा दिया गया है।

जिला अस्पताल से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की ड्यूटी लगा दी गई है। रविवार शाम से डॉक्टरों को तैनात कर दिया गया।

लक्षणों वाले मरीजों का कैसे हो इलाज

बीआरडी मेडिकल कॉलेज मंडल में लेवल टू व थ्री की सुविधाओं वाला एकमात्र अस्पताल है। इसकी क्षमता 200 बेड की है। इसमें 40 बेड वेंटिलेटरयुक्त आईसीयू है। यह फुल हो गया है।

यहां पर लक्षण वाले मरीजों का इलाज किया जा सके। सभी मरीजों को मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। कॉलेज प्रशासन उन्हें एडमिट करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे मरीजों के साथ ही कॉलेज प्रबंधन के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

लेवल वन, टू, थ्री अस्पताल में ये फर्क होता है

लेवल वन अस्पताल में उन मरीजों को भर्ती किया जाता है जो पॉजिटिव तो हैं लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं हैं। लक्षण आने पर उन्हें लेवल टू और स्थिति गंभीर होने पर लेवल थ्री अस्पताल में शिफ्ट किया जाता है।