सीएम सिटी में बढ़ा वायु प्रदूषण, मानक से दोगुना जहरीली हुई हवा..

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गोरखपुर।

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मुख्यमंत्री का शहर यानी कि गोरखपुर नहीं हैं जनता के लिए सुरक्षित.. हम ऐसा इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि गोरखपुर में मानक से दोगुना हो गयी हैं जहरीली हवा यानी कि तगड़ा वाला वायु प्रदूषण।दिल्ली और लखनऊ के आलावा कई और शहर भी प्रदूषण की चपेट में गंभीर रूप से आ चुके हैं।जिनमें अब गोरखपुर का नाम भी शामिल है। शुद्ध वायु के लिए आरएसपीएम ( रेस्पेरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) का मानक 100 माइक्रॉन प्रति क्यूबिक मीटर है, लेकिन गोरखपुर में इसकी माप 190 माइक्रॉन तक पहुंच गई है।गोरखपुर के गोरखनाथ क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषण मापा गया है। यहां करीब 198 से 200 माइक्रॉन प्रति क्यूबिक मीटर है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिये यह मानक चिंता का विषय है तो शहरियों के सेहत को भी यह बड़ा नुकसान पहुंचायेगा। गोरखपुर की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। पिछले दो महीने में शहर के विभिन्न इलाकों से लिये गए हवा के नमूनों में इस तरह की रिपोर्ट निकलकर सामने आयी है। बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए ये तो खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हवा में जहरीली गैसों के मिश्रण पर नजर रखता है। क्षेत्र में हवा की शुद्धता निगरानी के लिए वैज्ञानिक सहायक हर सोमवार और गुरुवार को लगाई गई मशीनों को 24-24 घंटे निगरानी में चलाते हैं। हर 8 घंटे पर हवा में मौजूद तत्वों के नमूने लिए जाते हैं। विभाग इस रिपोर्ट के बाद अब एक जागरूकता अभियान का मन बना रहा है, जिससे इसमें कमी लाई जा सके।हवा में मौजदू दिखाई न देने वाले ये कण 0 से 10 माइक्रॉन साइज के होते हैं। 50 माइक्रॉन से ऊपर के कण ही आंख से देखे जा सकते हैं। ये कण सांस के रास्ते फेफड़े में पहुंचकर श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। गोरखपुर में पिछले वर्ष अप्रैल और मई माह में व्यस्त इलाके गोलघर में आरएसपीएम 170 माइक्रॉन प्रति क्यूबिक मीटर था, जो इस साल बढ़कर 190 से 192 हो गया है। सबसे ज्यादा प्रदूषण गोरखनाथ क्षेत्र में है। यहां के इंडस्ट्रियल के पास तो 200 माइक्रॉन प्रति क्यूबिक मीटर तक प्रदूषण है।शहर में बढ़ते प्रदूषण चिंता का विषय हैं,इस मुद्दे पर शहर की जनता सहित सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए।