जाति-धर्म और फिल्मी पोस्टर के बीच क्या बेरोजगारी-महंगाई का गायब हो गया मुद्दा?
नीतीश गुप्ता, गोरखपुर। देशभर में महंगाई चरम सीमा पर है, बेरोजगारी दर कितनी है ये सबको पता है लेकिन इन सब अहम मुद्दों को छोड़कर देशभर में बहस किसी दूसरे ही मुद्दों पर हो रही हैं या यूं कहें कि कराई जा रही है वो है जाति-धर्म की। राजनीति करने के चक्कर में नेताओं को न तो युवाओं के भविष्य की चिंता है और न ही बढ़ते महंगाई की।
देशभर में महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है, लोगों को ये समझ नहीं आ रहा कि घर का खर्चा कैसे चलायें? लगातार घरेलू सिलेंडर के दामों में बढ़ोतरी लोगों को परेशान कर रही? वहीं महंगाई से सबसे ज्यादा मध्यम वर्गीय परिवार के लोग परेशान हैं, घर का खर्च चलाने को लेकर उधार तक लिया जा रहा है, कमाई का साधन सीमित है इसीलिए नेताओं की तरह इधर उधर का कुछ हिसाब नहीं हो पा रहा।
इस बीच सरकार भी इन मुद्दों से भागते नजर रही। सदन में जब आवाज बेरोजगारी और महंगाई की उठनी चाहिए तो आवाज फिल्मी पोस्टर और न जाने कौन कौन से मुद्दों सी उठती है। युवा नौकरी के लिए परेशान है, उधर सरकार ऐसी अग्निवीर योजना लायी जिससे देशभर के कई प्रदेश के युवा भड़क गये और सड़क पर उतर गए कई जगह तो आगजनी और हिंसा भी हुई। युवाओं के इस विरोध को देशभर ने देखा, कुछ ने सरकार के इस योजना को बेहतर बताया तो कुछ ने जमकर आलोचना की।