कोवैक्सीन, कोविशील्ड या स्पूतनिक-V? जानिए कौनसी वैक्सीन आपको लगवानी चाहिए

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हाल ही में हुई एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना की वैक्सीन कोवैक्सीन के मुकाबले कोविशील्ड से शरीर में ज्यादा एंटीबॉडी बन रही हैं। इसका यह भी मतलब निकाला जा रहा है कि कोवैक्सीन के मुकाबले कोविशील्ड ज्यादा असरदार है।

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देश में अभी इन दोनों के अलावा रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-V का इस्तेमाल हो रहा है। कुछ लोगों के जेहन में यह भी सवाल होगा कि इन तीनों में कौन बेहतर है, कौन ज्यादा असरदार है और कौन सी वैक्सीन लगवाना ठीक है। अगर आपके मन में भी यह सवाल है तो एम्स डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने इसका जवाब दिया है।

एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना के टीकों की अलग-अलग क्षमताओं के बारे में अफवाहों के बीच कहा कि अब तक उपलब्ध आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि सभी टीके, चाहे कोवैक्सीन हो, कोविशील्ड या स्पुतनिक वी की प्रभावशीलता कमोबेश बराबर है।

भारत में उपलब्ध ये टीके एंटीबॉडी के उत्पादन या उच्च सेरोपॉजिटीविटी दर के संदर्भ में बराबर असरदार हैं। गुलेरिया ने कोविड-19 के संबंध में लोगों की तमाम शंकाओं का समाधान करते हुए कहा, ‘हमें यह नहीं कहना चाहिए कि यह टीका या वह टीका, जो भी टीका आपके क्षेत्र में उपलब्ध है, कृपया आगे बढ़ें और अपना टीकाकरण कराएं ताकि आप और आपका परिवार सुरक्षित रहे।’

गुलेरिया ने टीकाकरण के बाद पर्याप्त एंटीबॉडी के बारे में आमतौर पर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमें केवल एंटीबॉडी की मात्रा के आधार पर टीकों की प्रभावशीलता का फैसला नहीं करना चाहिए।

एम्स निदेशक ने कहा कि टीके कई तरह की सुरक्षा देते हैं, जैसे एंटीबॉडी, सेल-मध्यस्थता प्रतिरक्षा और मेमोरी सेल (जो हमारे संक्रमित होने पर अधिक एंटीबॉडी उत्पन्न करते हैं)। गुलेरिया ने कहा, अब तक जो असर को लेकर नतीजे आए हैं, वे परीक्षण अध्ययनों पर आधारित हैं, जहां प्रत्येक परीक्षण का अध्ययन डिजाइन कुछ अलग है।