गांवों में शुरू हो गई है ‘कोरोना माई’ की पूजा, अंधविश्वास के चक्कर में सोशल डिस्टेंसिनग भी तार तार

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एक दौर था जब अंधविश्वास में पड़कर लोग चेचक (मिजिल्स) का प्रकोप होने के बाद छोटी माता और बड़ी माता बताकर पूजा करते थे अब कोरोना महामारी भी को भी कोरोना माई (मां) की नाराजगी बताया जा रहा है।

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क्या शहर क्या गांव हर जगह कोरोना माई की पूजा हो रही है। ओझा सोखा भी इसका खूब फायदा उठा रहे है। महिलाओं के साथ मिलकर पूजा पाठ कराने के नाम पर मनमानी वसूली हो रही है।

कोरोना को गांव से निकालने के लिए बैंडबाजे के साथ उसे गांव के सरहद तक पहुंचाया जा रहा है। इस दौरान सोशल डिस्टेसिंग की खुलकर धज्जी उड़ाई जा रही है।

बता दें कि जिले में कोराना संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक डेढ़ सौ से अधिक लोग मौत का ग्रास बन चुके है। गांवों में अन्य बिमारियों से हो रही मौत को भी कोरोना संक्रमण से जोड़कर देखा जा रहा है।

इस समय शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा संक्रमण गांवोें में अधिक दिख रहा है जिसके कारण लोगों पर अंधविश्वास हाबी होता जा रहा है। बड़ी संख्या में लोग इसे प्रकृति का प्रकोप मानने लगे हैं।

भ्रांतियां किस हद तक बढ़ चुकी है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि शहर से लेकर गांव तक लोग पूजा पाठ के जरिये कारोना संक्रमण को रोकने में जुट गए है।