“प्रहरी” ऐप लागू कर 90 फीसदी ठेकेदारों को बेरोजगार करना चाहता है PWD?

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पीडब्ल्यूडी ने प्रहरी नाम से एक ऐप जारी किया है इस ऐप के जरिए सरकार ने एक तरह से माननीयों के अधिकार को समाप्त कर दिया। इसे देखते हुए सलेमपुर के सांसद रविंद्र कुशवाहा और मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे ठेकेदार विरोधी प्रहरी ऐप को समाप्त करने की मांग की है।

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ऐप में टेंडर डालने के मानकों को इतना सख्त कर दिया गया है कि 20-25 लाख का काम करने वाला ठेकेदार टेंडर ही नहीं डाल सकता। इसमें वही ठेकेदार टेंडर डाल पाएगा जो 100 से 200 करोड़ का काम करता हो।

मशीनों के पंजीकरण की सीमा को 20 साल के स्थान पर 5 साल कर दिया गया है। आदर्श पूर्वांचल ठेकेदार समिति के अध्यक्ष शरद कुमार सिंह ने प्रहरी ऐप का विरोध करते हुए कहा कि इससे 90 फीसदी ठेकेदार बेरोजगार हो जाएंगे उन्होंने कहा कि विभाग ने बड़े ठेकेदारों के वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए ही नया ऐप जारी किया है।

प्रहरी ऐप को तुगलकी आदेश बताने वाले ठेकेदार संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि पूरे देश में सभी विभागों में धरोहर धनराशि 2 फीसद का है मगर विभाग ने धरोहर धनराशि को बढ़ाकर 10 फीसद ऑनलाइन कर दिया गया है। इस प्रहरी ऐप में टेंडर अपलोड करते समय रोलर का मालिकाना अभिलेख और किस कंपनी का है का नाम भरना होगा।

इतना ही नहीं कितने सड़कों पर कार्य हो रहा है उतने तकनीकी कर्मचारियों को रखना होगा। हर कार्य के लिए अलग-अलग तकनीक कर्मचारी मांगा जा रहा है जो कि एक आम ठेकेदार के लिए नामुमकिन है। ऐप में ठेकेदारों से कहा गया है कि 5 साल पुराना मशीन नहीं होना चाहिए।

वहीं रोलर सहित अन्य दिन मशीनों से विभाग खुद करता है वह अंग्रेजों के जमाने का है वैसे भी मशीनों का पंजीकरण 15 साल का करने का प्रावधान है।