बस्ती। पब्लिसिटी के लिए किसी गरीब के घर खाना खाकर राजनीति चमका लेना नेताओं के लिए आम बात है. लेकिन उसके बाद उस गरीब के घर और गांव का पुरसाहाल लेने वाला कोई नही होता. असल में यही नेताओं के दोहरे मापदंड का सच है. बस्ती जिले के दलित बस्ती में सितम्बर 2016 में कांग्रेसी नेता राहुल गांधी जगेसर के घर आए थे.
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यहां राहुल गांधी ने परिवार के साथ खाना खाया और गांव की समस्याओं को लेकर बातचीत की. आज इस बात को 4 साल बीत गए लेकिन न तो उस परिवार की हालत सुधरी और न ही उस दलित बस्ती की. आज आलम यह है कि जगेसर का पूरा घर पानी में डूब चुका है.
जिसकी वजह से उन्हें अपना ही घर छोड़कर कहीं और शरण लेना पड़ा है. वहीं प्रशासन के आलाधिकारी शिकायत पत्र के इंतजार में हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.
दरअसल एक पखवाड़े से लगातार हो रही बारिश की वजह से नदियां उफान पर है. तटवर्ती गांव में पानी तो भर ही गया. इधर पानी निकासी की उचित व्यवस्था न होने से कई मोहल्ले में भी जलमग्न हो गए हैं.
हरैया नगर पंचायत के वार्ड नंबर 4 की दलित बस्ती में पानी लोगों के घरों तक में पहुंच गया है. इस वजह से तमाम लोग पलायन कर रहे हैं. इसके लिए पहले कई बार शिकायत की गई, इसके बावजूद प्रशासन ने जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की.
बड़ी बात ये है कि इसी दलित बस्ती में 2016 में राहुल गांधी भी आए थे और उन्होंने दलित जगेसर के घर खाना भी खाया था. आज जगेसर के घर की हालत बदतर हो चुकी है. पानी भर जाने की वजह से अपना घर छोड़ कर चले गए है. यहां दो हफ्ते से अधिक दिनो से पानी भरा हुआ है.
वहीं जब इस बाबत ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नही आई है. जबकि सभासद और नगर पंचायत को कई बार शिकायत की जा चुकी है. ऐसे में सवाल उठता है कि आम आदमी अपना घर और परिवार डूबने से बचाये की शिकायती पत्र लेकर अधिकारियों के चक्कर काटे.
स्थानीय जगेसर ने बताया कि काफी दिनों से घर में बरसात का पानी भरा हुआ है. आज मजबूरी में हमे घर छोड़कर दूसरी जगह शरण लेना पड़ा है. उन्होंने बताया कि कई जल निकासी को लेकर शिकायत की गई. लेकिन न तो सभासद ने कोई कार्रवाई की और न ही नगर पंचायत के अधिकारियों ने पानी निकालने का कोई इंतजाम किया.
जगेसर ने 2016 का जिक्र करते हुए बताया कि राहुल गांधी जब घर आये थे तब भी कुछ उम्मीद नही थी. उनके आने से कोई बदलाव नही हुआ. अब तो चार साल बीत चुके हैं अब तो हालात और भी खराब हैं.