अगर सरकार लोगों को पहले ही रोजगार दे देती तो ये मजदूर यूं प्रवासी ना होतें

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देशभर में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन जारी है हालांकि इस लॉकडाउन 4.0 में लोगों को कई सुविधाएं भी दी जा रही हैं। सरकार द्वारा लगातार 50 दिन से अधिक लॉकडाउन लगाए जाने के बाद बाजारों को कुछ शर्तों के साथ खोल दिया गया है। वहीं लॉकडाउन की वजह से अपना गांव अपना शहर छोड़ किसी और राज्य, किसी और देश कमाने गए मजदूर अब दिक्कतों का सामना करते हुए अपने घर लौट रहे हैं। सरकार द्वारा भले ही मजदूरों को सकुशल घर पहुँचाने की बात की जा रही हो मगर स्थिति किसी से छिपी नहीं है। नेशनल हाईवे पर हालात क्या हैं और कैसे हैं ये आये दिन तस्वीरों के जरिये दिखाई देता है।

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लाखों की संख्या में अपने घर वापस लौट रहे मजदूरों पर सवाल खड़ा होता है। सवाल यह कि:- आखिर कौन सी मजबूरी थी जिसके कारण इन्हें अपना गांव,अपना शहर छोड़ दूसरे जगह कमाने जाना पड़ा?

-आखिर सरकारें रोजगार पैदा करने में नाकाम क्यों?
-क्या मजदूरों के पलायन का कारण सरकारें हैं?
-क्या मजदूर जानबूझ कर अपना गांव छोड़ परदेश कमाने जाता है?

ऐसे तमाम सवाल है, जिसका जवाब आप खुद जानते हैं। आज की मौजूदा स्थिति क्या है सभी को पता है। लाखों मजदूरों के पलायन के बाद सरकार की नींद खुली और 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान हो जाता है। यही नहीं सरकार अब ये भी कह रही कि बाहर से आने वाले मजदूर यानी प्रवासी मजदूरों को रोजगार देंगे कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा। तो फिर सवाल उठता है कि क्या अभी तक सरकार रोजगार के मुद्दे पर सो रही थी? बात यूपी की करें तो प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद विधानसभा में इस बात को स्वीकारा था कि यूपी में बेरोजगारी चरम सीमा पर है।

उन्होंने खुद आंकड़ा पेश करते हुए बताया था कि प्रदेश में बेरोजगारी दर दोगुनी हुई है। ये आंकड़ा तब का था जब देश में चीजें सामान्य थी मौजूदा समय तो देश की अर्थव्यवस्था से लेकर हर चीज डगमगाया हुआ है तो फिर सरकार लाखों प्रवासी मजदुरों को कहां से रोजगार उपलब्ध कराएगी?

प्रदेश सरकार में बेरोजगारों की संख्या पहले से ही इतनी ज्यादा है तो अब सरकार बाहर से लौटे मजदूरों को कैसे रोजगार देगी?