ट्रोलिंग – एक नाजायज हुनर

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लेखन – राहुल तिवारी

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एक जमाना था जब लोग अपने प्रिय के पत्रों का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते थे। कान तो जैसे डाकिए की अमृतवाणी को सुनने के लिए बेचैन रहते थे। इधर से एक पत्र भेजिए तो वहां पहुंचने के लिए अमूमन 10 से 15 दिन लगते थे। वह भी अगर पता ठिकाना सही रसीद किया गया हो तब। और अगर ऐसा नहीं तब तो ईश्वर का ही सहारा। उधर से भी यही किस्सा। इन सारे क्रियाकलापों के बीच का लम्हा या यूं कह लो के 1- 1 पल का इंतजार सदियों के बराबर लगता था। फिर वक्त ने करवट फेरी। विज्ञान ,अविष्कार और प्रौद्योगिकी कि क्रांति कुछ इस कदर बढ़ी कि वक्त की कमती तो होती ही गई । साथ ही सोशल मीडिया की आई बाढ़ ने संस्कृतियों और विचारधाराओं कि जो भीषण गंगा बहाई , उसने ना जाने कितनी मनोदशाओं को एक साहिल पर ला खड़ा किया। विज्ञान ने बिना भेदभाव किए, सबको अपने मंतव्य पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत करने का अलौकिक अधिकार दिया। और संसार को मिलने लगी नई नई प्रतिभाएं, नए-नए विचार, नई-नई सभ्यताएं और नए-नए विरोधाभास।

और अब तो हालात कुछ यूं है की जिस तरफ देखिए हर कोई अपना बहुमूल्य वक्त इन सभी सोशल मीडिया साइट्स पर अपने – अपने अनमोल ज्ञान के भंडार को लुटाते हुए बिता रहा है । हां! अब वो अलग की बात है की औरों को वह अनमोल ज्ञान रास आए या ना आए लेकिन नहीं हमारे पास तो ज्ञान का भंडार है, हम तो लुटाएंगे । खैर ! यह तो रहा एक मंतव्य। यहां तक तो ठीक है कि हम अपना ज्ञान फैला रहे हैं लेकिन इन सोशल मीडिया के विद्वानों ने आजकल एक नया ही ट्रेंड फैला रखा जिसे कुछ मनीषियों ने ट्रोलिंग का नाम दिया। यह वायरस कहां से फैला, इसकी खबर तो किसी को नहीं है लेकिन जिस रूप में या यूं कहें कि जिस भयावहता के साथ यह वायरस फैल रहा है उस रूप में तो सोशल मीडिया का भविष्य काफी संकट में है। अब बात करते-करते जब यहां तक आ ही गई तो यह भी बताते चलें की यह मनीषी लोग किसी बड़े सेलिब्रिटी के सोशल मीडिया पेज पर जाकर, विज्ञान द्वारा प्रदत आजादी का नाजायज फायदा उठाते हुए अपनी खरी खोटी उस सेलिब्रिटी को सुना आते हैं। हमारे पूर्वजों ने एक कहावत कही थी कि, “गरजे कहीं और , बरसे कहीं और।” यानी कहीं का गुस्सा कहीं और पर निकालना। जिसका यह लोग अक्षरसः पालन कर रहे हैं। अगर इनकी माने तो पूरा विश्व ही इनके ज्ञान पर चल रहा है। यह लोग इतने महान होते हैं की हर विषय पर उनका ज्ञान प्रचंड होता है। उदाहरणतः , अगर फिल्म जगत का कोई पुरोधा है वह अपनी विधा से संबंधित कोई विचार पेश करता है तो यह विद्वान लोग उसी की विधा के बारे में उसे बे मतलब सुझाव दे आते हैं, भले ही कोई इन्हें कितना भी नजरअंदाज कर दे लेकिन यह अपना काम बड़े ही निश्छलता पूर्वक करते रहते हैं। कभी-कभी तो इतनी हद हो जाती है की एक गलत ट्रोल या कमेंट की वजह से किसी की पूरी जिंदगी तबाह होने के कगार पर आ जाती है। पर ना जाने यह सोशल मीडिया के विद्वान कौन से आनंद की अनुभूति करते हैं।

यह तो सच है कि अपना विचार , मंतव्य रखना कोई गलत बात नहीं है । लेकिन इस बात का भरपूर ख्याल रखा जाए की विचार रखते समय हमारी हद कहां खत्म होती है। कोई भी सेलिब्रिटी अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है, और जब उसे अंजाम के रूप में यह ट्रोलर्स मिलते हैं तो वह कहीं ना कहीं से टूट जाता है। और जो वास्तविक प्रतिभाएं हैं वह हमसे चूक सी जाती हैं। इसलिए किसी को ट्रोल करने से पहले एक बार जरूर सोचा जाए।