गोरखपुर:सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं उपमुख्यमंत्री का आगमन हुआ।
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इस दौरान समारोह में राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने 30 छात्र- छात्राओं को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया,मेडल पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खिल उठे।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की छात्रा अंजली रस्तोगी ने मेडल प्राप्त कर इस विश्वविद्यालय की इज्जत रख ली वरना मेडल प्राप्त करने में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की झोली खाली रह जाती।
हर बार की तरह इस इस फिर मेडल प्राप्त करने में एक बार छात्राओं ने बाजी मार ली,कुल 30 छात्र-छात्राओं में 18 छात्राओं ने मेडल प्राप्त किया।
राज्यपाल के हाथों मेडल प्राप्त करने वालों में एचआरपीजी कॉलेज खलीलाबाद की वर्तिका शुक्ला को बीए ,सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की बीकॉम की छात्रा अंजली रस्तोगी ,एमएलके पीजी कॉलेज बलरामपुर की बीएससी की छात्रा रश्मि चौधरी, चौधरी चरण सिंह पीजी कॉलेज पांडव नगर बस्ती के बीएससी कृषि के तुषार प्रताप सिंह,श्री राम तीर्थ चौधरी महाविद्यालय इमिलिया उतरौला बलरामपुर की आयशा खातून को बीएससी गृह विज्ञान,एचआर पीजी कॉलेज खलीलाबाद के दिवाकर यादव को प्राचीन इतिहास एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल पीजी कॉलेज परतावल महराजगंज की उत्तरा पांडे को एम ए हिंदी में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है।
इसके अलावा अन्य छात्र एवं छात्राओं ने अपने अपने वर्ग की परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक पाकर दावेदारी पेश की।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कहा कि”दीक्षांत समारोह शिक्षा व्यवस्था का अंतिम नहीं बल्कि पहला पढ़ाव होता है,जहां से युवाओं को नए दायित्व का बोध होता है, अपने संबोधन में भाग्य श्री दिनेश शर्मा ने कहा “कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की स्थापना अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है मगर इसकी उपलब्धियां पुराने विश्वविद्यालयों को पीछे छोड़ रही हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि आने वाले दिनों में यह शिक्षा के क्षेत्र में अपना एक अलग पहचान बनाएगा, अपने संबोधन में कहां की इस विद्यालय में अभी तमाम पद का सृजन किया जाना बाकी है उसे जल्द ही मुख्यमंत्री से वार्ता कर निराकरण कर दिया जाएगा।”
इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहां शिक्षा ग्रहण कर युवा स्वयं के साथ-साथ दूसरों का जीवन उत्थान कर सकते हैं ।यही शिक्षा का परम मूल उद्देश्य हैऔर कहा कि यह धरती भगवान बुद्ध की क्रीड़ा स्थली के रूप में पूरे संसार में प्रसिद्ध है, भगवान बुद्ध ने जिस प्रकार अपने ज्ञान से पूरे विश्व को रोशन किया ठीक उसी प्रकार आज की युवा पीढ़ी को अपने शिक्षित होने का लाभ दूसरे लोगों को प्रदान करना होगा तभी जाकर शिक्षा का मकसद पूरा हो पाएगा।