चुनाव में वाहन देने से आनाकानी की तो होगी जेल
लोकसभा चुनाव के वाहन नहीं देने वाले मोटर मालिकों पर परिवहन विभाग सख्त हो गया है। विभाग ऐसे मोटर मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगा। ड्राइवर का लाइसेंस और वाहन परमिट निरस्त किया जाएगा। परिवहन विभाग ने चुनाव के लिए एक हजार बस, टैक्सी और ट्रकों का अधिग्रहण किया है। इसमें सिटी बस, टीजीएमओ, जीएमओ, स्कूल बस, टैक्सी और ट्रक शामिल हैं। 300 वाहनों की लिस्ट विभाग चुनाव आयोग को उपलब्ध करा चुका है। जिनका उपयोग जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट कर रहे हैं। इसके अलावा पोलिंग पार्टी और पोलिंग सामग्री को पोलिंग बूथों तक पहुंचाने के लिए भी 700 वाहनों का अधिग्रहण किया जायेगा । इन वाहनों के ड्राइवरों का लाइसेंस और वाहनों का परमिट आरटीओ दफ्तर में जमा है। इसके लिए सभी वाहन स्वामियों को पत्र दिया गया है। इसमें किसी तिथि को किस स्थान पर पहुंचना है, इसकी जानकारी है, लेकिन अधिकांश वाहन स्वामी चुनाव में वाहन भेजने से बचना चाहते हैं। ऐसे वाहन स्वामियों पर परिवहन विभाग सख्त हो गया है। एआरटीओ ने बताया कि यदि कोई वाहन स्वामी अपने वाहन को नहीं भेजता है तो उसके खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी। वाहन का परमिट और ड्राइवर का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया जाएगा। बताया कि चुनाव ड्यूटी में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पच्चीस फीसदी ज्यादा पैसा मिलेगा
चुनाव ड्यूटी में लगे वाहनों को भुगतान किया जाता है। एआरटीओ ने बताया कि इस बार 25 फीसदी अधिक भुगतान मिलेगा। उनके स्तर से इसकी संस्तुति हो गई है। अंतिम फैसले के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।