गोरखपुर। डिजिटल इंडिया का असर यूपी की स्वास्थ्य सेवाओं में भी दिखने लगा है। यहां के सुदूर इलाकों में मरीजों को निःशुल्क सुविधा देने के उद्देश्य से शुरू की गई ई-पीएचसी पर अब तक 50 हजार से अधिक लोगों ने इलाज करवाया है।
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स्वास्थ्य लाभ लेने वालों में चंदौली के लोग सबसे आगे हैं वहीं बहराइच दूसरे स्थान पर है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि गोरखपुर में 2872 मरीज ई-पीएचसी सेवा का रामपुर केंद्र के जरिये लाभ पा चुके हैं। उनका कहना है कि ई-पीएचसी पर कम समय में ही बेहतर इलाज देना संभव होता है।
ई-पीएचसी सेवा के निदेशक डॉ. वीके सिंह का कहना है कि गत वर्ष प्रदेश के 10 जिलों में ई-पीएचसी की शुरुआत की गई।
इन 10 जिलों जिलों में चंदौली, बहराइच, फ़तेहपुर, वाराणसी, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट, गोरखपुर और सोनभद्र हैं।
इन जनपदों में ई-पीएचसी के जरिये अब तक 50,795 मरीजों को उपचरित किया गया है। चंदौली में कमलापुर पीएचसी को ई-पीएचसी बनाया गया है।
जहां अब तक सर्वाधिक 8348 मरीजों का इलाज किया गया है। वहीं बहराइच के लौखाई को ई-पीएचसी बनाया गया।
यहां 6773 मरीजों ने अब तक इलाज किया गया। फ़तेहपुर में ललौली को ई-पीएचसी बनाया गया जहां अब तक 6681 मरीजों का इलाज किया गया।
वहीं वाराणसी (सारनाथ) में 6242, श्रावस्ती (नासिरगंज) में 5809, बलरामपुर (भगनी) में 4555, सिद्धार्थनगर (मधौपुर कल्लन) ई-पीएचसी में 3515 मरीजों को उपचारित किया गया।
इसी तरह चित्रकूट (ऊंचडीह) में 3164, गोरखपुर (रामपुर) में 2872 और सोनभद्र के सतबहनी ई-पीएचसी में 28936 मरीजों ने स्वास्थ्य लाभ लिया है।
क्या है ई-पीएचसी
ई-पीएचसी यानि इलेक्ट्रानिक-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर विकसित किए गए हैं। ई-पीएचसी पर नर्स, लैब टेकनीशियन और फरमासिस्ट तैनात होते हैं।
नर्स/फर्मासिस्ट आए हुये मरीज का पंजीकरण कर उसकी पूरी जानकारी अपने कमांड सेंटर को भेजते हैं।
इसके बाद वीडियो कालिंग के जरिये तत्काल एमबीबीएस डॉक्टर परामर्श देते हैं। खास बात यह कि मरीज की पैथोलाजिकल जांच रिपोर्ट डॉक्टर और मरीज दोनों के ईमेल पर एक साथ आती है।
इससे डॉक्टर को दवा बताना बहुत आसान हो जाता है। ई-पीएचसी पर मरीज को परामर्श, दवा की निशुल्क सुविधा दी जाती है।
साथ ही ईसीजी, एचआईवी, डेंगू, मलेरिया समेत 21 से अधिक पैथोलाजिकल जांच भी मुफ्त में की जाती है। वर्तमान में ई-पीएचसी की सुविधा प्रदेश के 10 जनपदों में दी जा रही है।
भविष्य की तैयारी
पीएचसी के निदेशक डॉ. वीके सिंह ने बताया कि अभी तो पायलट प्रोजेक्ट के तहत सिर्फ 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को ई-पीएचसी के रूप में तब्दील किया गया है। जहां बेहतरीन परिणाम आए हैं।
भविष्य में ऐसे 100 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को जो विभिन्न कारणों से बंद होने होने की स्थिति में हैं उनको ई-पीएचसी के रूप में विकसित करने की तैयारी है।
इन चरण में हम उन कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) को जोड़गे ताकि गैर संचारी रोग का निवारण भी हम पीएचसी स्तर पर ही कर सकें।
लाभार्थियों ने सराहा
बिहार के सिवान जिले के रहने वाले 20 वर्षीय प्रकाश वर्मा गोरखपुर शहर में कार्य करते हैं। उन्हें सर्दी, जुकाम और खांसी की दिक्कत थी।
वह रामपुर ई-पीएचसी गये जहां उन्हें बेहतर परामर्श के साथ निःशुल्क दवाइयां मिलीं। 17 वर्षीय संदीप वर्मा की मां उमा देवी भी ई-पीएचसी की सेवाओं को सराहती हैं।
उनका कहना है कि बच्चे को सर्दी और जुकाम की दिक्कत हुई तो वह ई-पीएचसी ही गया। वहां से इलाज के अलावा निःशुल्क दवा भी मिली। वह लोग वहां की व्यवस्था से संतुष्ट हैं।