होम आइसोलेशन के मरीजों के लिए जिले में सक्रिय की गई 30 रैपिड रिस्पांस टीम

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गोरखपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड मरीजों और उनके परिजनों से रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का पूरा सहयोग करने की अपील की है।

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उन्होंने कहा है कि जब तक लोग आरआरटी को संपूर्ण और सही सूचनाएं नहीं देंगे तब तक बीमारी के संभावित खतरे को कम करना आसान न होगा।

जिले में 30 आरआरटी सक्रिय हैं जो मरीजों के घर पहुंच कर उनका स्वास्थ्य देखती हैं और उन्हें दवाईयां उपलब्ध करवाती हैं। अगर कोई गंभीर मरीज दिखता है तो उसे अस्पताल के लिए रेफर करने का दिशा-निर्देश है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जिले में 112 मरीज आईसीयू में हैं, जबकि 159 मरीज सामान्य वार्ड में कोविड का इलाज करवा रहे हैं। इनके अलावा 1755 कोविड मरीज होम आइसोलेशन में इलाज करवा रहे हैं। इनकी मदद के लिए ही आरआरटी बनाई गयी है।

कई बार आरआरटी को मरीज या उनके परिजन की तरफ से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है जिससे केस बिगड़ने का खतरा रहता है। अगर आरआरटी किसी मरीज को अस्पताल जाने का परामर्श दे तो उसे अवश्य मानें।

आरआरटी के लोगों को लक्षण, कांटैक्ट आदि की सही सूचना दें ताकि बीमारी की रोकथाम और प्रसार को रोकने में मदद मिले। जो दवाइयां और परामर्श दिया जा रहा है उसका पालन करें।

उन्होंने बताया कि एसीएमओ डॉ. एसएन त्रिपाठी की देखरेख में ग्रामीण क्षेत्रों में 19 आरआरटी जबकि शहरी क्षेत्रों में 11 आरआरटी प्रतिदिन भ्रमण कर मरीजों का हालचाल ले रही है।

जिला सर्विलांस अधिकारी और एसीएमओ डॉ. एके चौधरी ने बताया कि जिले में कोविड के इलाज के लिए कुल 923 बेड की क्षमता फिलहाल उपलब्ध है जिसे और भी बढ़ाया जाएगा। कुल 281 बेड आईसीयू के हैं और 642 सामान्य बेड अभी उपलब्ध हैं।

यह बेड की सुविधा बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के अलावा फातिमा हॉस्पिटल, होप हॉस्पिटल और उदया हॉस्पिटल में उपलब्ध है।

सौ शैय्या युक्त टीबी अस्पताल, रेलवे अस्पताल समेत कई अन्य अस्पतालों में बेड की सुविधा बढ़ाने की तैयारी है। अगर होम आइसोलेशन में किसी की तबीयत बिगड़ रही है तो उसे आरआरटी के माध्यम से अस्पताल जाने का प्रयास करना चाहिए।

भय भ्रांति न पालें

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि कोरोना के प्रति भय और भ्रांति की भावना से ऊपर उठना होगा। अगर किसी को कोविड है तो उससे भेदभाव नहीं करना है।

मॉस्क लगा कर, हाथों की स्वच्छता का व्यवहार अपना कर और दो गज दूरी के साथ इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है।

कोविड मरीज और उनके परिजनों की हर संभव मदद को तत्पर रहें। सामुदायिक एकजुटता के प्रयासों से इस बीमारी का मुकाबला करना होगा।