20 साल पहले इतना प्रदूषित नहीं था,अपना गोरखपुर..

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गोरखपुर।

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गोरखपुर 20 साल पहले कैसा था, और अब कैसा है? बदलाव बहुत हुए हैं पर पर्यावरण में,जी हां World Earth Hour Day पर गोरखपुर के पर्यावरणविद से ये जानने की कोशिश की आखिरकार वो क्या परिवर्तन हैं, जो अब दर्ज किए जाने चाहिए।
विकास और अत्याधुनिक होने के चक्कर में लोगों ने गोरखपुर के प्राकृतिक धरोहरों को काफी नुकसान पहुंचाया है। शहर में ई-कचरे बढ़े हैं और इसके उन्मूलन के लिए कोई कार्यक्रम आयोजित ना करना चिंताजनक बिषय है।
ग्लोबल वार्मिंग के दौर हर क्षेत्र में बदलाव हुए हैं। चाहे वो इको सिस्टम हो, जैव विविधता है या फिर पर्यावरण प्रदूषण। किसी भी शहर पर इन सारे कारकों का खासा असर पड़ता ही है। अचित्य ने हमें आगे बताया कि 20 साल पहले गोरखपुर में इतनी ज्यादा संख्या में वाहन ना होने से वायु प्रदूषण इतना नहीं होता था।
20 साल पहले राप्ती के तट पर बसा शहर गोरखपुर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देशभर में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। अब नदी विस्तार भी घटा है। गोरखपुर का रामगढ़ ताल भी पारिस्थितिकी संतुलन के लिए जानी जाती है।
यहां के जंगलों में आज भी तरह-तरह के पशु पक्षी रहते हैं। विनोद वन में हिरण, अजगर, खरगोश, सैलानियों के आकर्षण का केंद्र माना जाता है।