Home न्यूज़ स्पेशल स्टोरी: अटल जी की अटल कहानी..

स्पेशल स्टोरी: अटल जी की अटल कहानी..

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी आज हम लोगों के बीच नहीं हैं पर उनकी यादें हमेशा ही अटल रहेंगी. आज ही के उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को एमपी के ग्वालियर में हुआ था.उनके पिता कृष्णा बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में शिक्षक थे.अटल जी मूल निवासी उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले थे. उन्होने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से बीए, और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री ली थी.एमए के बाद कानपुर में ही एलएलबी की पढ़ाई शुरू की थी.लेकिन बीच में ही छोड़ कर पत्रकारिता और सामाजिक कार्य में लग गए.

अटल जी 1939 में आरएसएस का हिस्सा बने और 1947 में आरएसएस के फुल टाइम वर्कर बन गए.अटल जी ने महात्मा गांधी के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया थे और इसी बीच उन्होंने 23 दिन जेल में भी बिताया था.इसी घटना के बाद अटल जी ने अपना कदम राजनीति की ओर बढ़ाया. बहुत ही कम उम्र में अटल जी राजनीति का हिस्सा बन गए. 1957 में मात्र 32 साल की उम्र में अटल जी यूपी के बलरामपुर से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुँचे थे.

अटल जी के भाषण से नेहरू ने प्रभावित होकर कहा था कि ये एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा. 1980 में जब भारतीय जनसंघ भारतीय जनता पार्टी बन गयी तो अटल जी को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. अटल जी ने 10 बार लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बने. 1962,1986 में दो बार अटल जी राज्यसभा सांसद भी रहे. अटल जी ने 3 बार देश की बागडोर सम्भाली है. 1996 में 13 दिन, 1998 से 1999 तक 13 महीने, 1999 से 2004 तक पूरे पांच साल देश के पीएम रहे.

मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में 5 परमाणु प्रशिक्षण कराकर ये साबित कर दिया था कि भारत किसी से कम नहीं. इस प्रशिक्षण के बाद अटल जी की विरोधियों ने बहुत आलोचनाएं की परन्तु अटल जी ने इन सबका मजबूती से सामना किया. अटल जीे पहले गैर कांग्रेसी पीएम थे जिन्होंने 5 साल तक पूरी सरकार चलाई.

विरोधियों ने उनपर सत्ता लोभी होने का आरोप लगाया तो अटल जी ने इसका जोरदार जवाब दिया था और उन्होंने साफ बोल दिया था कि पार्टी तोड़ कर सत्ता के लिए नया गठबंधन , अगर सत्ता हाथ में आती है, तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसन्द नहीं करूंगा. अटल जी को सत्ता का जरा भी लोभ नहीं था तभी तो उन्होंने अपने भाषण में इस चीज का जिक्र भी किया था कि सत्ता आती जाती रहती हैं मगर ये देश रहना चाहिए और देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए..

उन्होंने 2009 में राजनीति से सन्यास ले लिया और 27 मार्च 2015 को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से अटल जी को नवाजा गया.अटल जी ने आरआरएस के कार्यकर्ता के रूप में और देशहित की सेवा के लिए अविवाहित रहने का संकल्प कर लिया था. 93 साल की उम्र में 16 अगस्त 2018 को अटल जी ने अंतिम सांसे ली. राजनेता के साथ साथ अटल जी एक अच्छे कवि भी थे.

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