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सोमवती अमावस्या,वट सावित्री व्रत शनैश्चर जयंती के योग आज

गोरखपुर: महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान “ट्रस्ट” के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय के अनुसार
पतियों की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत रखेंगी व
पीपल वृक्ष का पूजन करेंगी जिससे पितृगण प्रसन्न होंगे।वहीं शनि के पूजन से शनि देव भी प्रसन्न होंगे।

इस बार ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या के दिन सोमवार दिन,रोहिणी नक्षत्र,सुकर्मा योग होना अत्यन्त ही शुभफलदायक है ।
इस दिन पीपल वृक्ष के पूजन से जहाँ महिलाओं के पति को दीर्घायु को प्राप्त होती है,वहीं इस दिन पीपल के वृक्ष पर तिल और जल अर्पित करने से पितृगण व शनि देव प्रसन्न होते हैं।

सोमवती अमावस्या का पर्व आज पूरे श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए । ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय के अनुसार इस बार सोमवती अमावस्या,वट सावित्री व्रत व शनि जयन्ती विशेष फलदायक है, इसलिए शनि ग्रह व पितृ बाधा से पीड़ित लोग पीपल वृक्ष के पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को ही शनि जयन्ती मनाई जाती है इसी दिन छाया व भगवान सूर्य के अंश से शनि का प्रादूर्भाव हुआ था।

यह अमावस्या साल में लगभग एक ही बार आती है। इस वर्ष यह अमावस्या 3 जून को पड़ रही है। हिन्दू धर्म में इस अमावस्या का विशेष महत्व है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत ( पीपल वृक्ष व्रत ) की भी संज्ञा दी गई है। इस दिन विवाहित स्त्रियां पीपल के वृक्ष के जड़ में दूध,जल,पुष्प, अक्षत,चन्दन इत्यादि से पूजा करती हैं और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेटकर परिक्रमा करती हैं। इस दिन भंवरी देने की भी परंपरा प्राचीन काल से रही है। धान,पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ पर चढ़ाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है।

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