लोकसभा चुनाव की तिथियां घोषित हो चुकी है और अब इंतजार है कि आखिर किस पार्टी से किसको कहाँ का उम्मीदवार बनाया जाता है? बात उत्तर प्रदेश की करे तो 2018 में उपचुनाव में गोरखपुर में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। लगातार 5 बार यहां से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ को अपनी सीट गवानी पड़ी थी और सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला को 22000 वोटों से शिकस्त दी थी।
हार के बाद ये माना जा रहा था कि ये हार बीजेपी की नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ की है जो पिछले पांच बार से इस सीट पर कब्जा जमाए हुए थे। अब सामने 2019 का लोकसभा चुनाव है और सभी की निगाहें अब गोरखपुर पर टिकी है कि आखिर बीजेपी से किसको टिकट मिलेगा। पिछले दिनों अमरेंद्र निषाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद ये कयास लगाए जा रहे है कि बीजेपी की तरफ से उन्हें ही टिकट मिलेगा क्योंकि गोरखपुर में निषाद जाति का वोट ज्यादा है और 2018 के उपचुनाव ने हार का कारण भी निषाद जाति का एक तरफा वोट माना जाता है।
सूत्रों की माने तो गोरखपुर सीट के लिए दो नाम पर चर्चा चल रही है एक उपेंद्र शुक्ला और दूसरा अमरेंद्र निषाद, दोनों ही नाम पर किसी एक पर सहमति के लिए कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ स्थित अपने आवास पर गोरखपुर से बीजेपी के तमाम पार्टी नेताओं से विधायकों को बुलाया था। बताया जा रहा है योगी आदित्यनाथ के साथ इस बैठक में विधायक राधा मोहन, शीतल पांडेय, जिलाध्यक्ष जनार्दन तिवारी, क्षेत्रीय मंत्री धर्मेंद्र सिंह आदि लोग मौजूद थे। इस बैठक में गोरखपुर से किसको सीट दिया जाए इसपर चर्चा किया गया। माना जा रहा है कि अगर योगी अमरेंद्र निषाद को टिकट देते है तो ब्राह्मण वोट कट जाएगा तो वहीं अगर ब्राह्मण को टिकट मिलता है निषाद वोट कटेगा।
इसी धर्मसंकट में योगी आदित्यनाथ फंसे है कि आखिर टिकट दें तो दें किसको? हाल ही सन्तकबीरनगर में सांसद और विधायक में हुए बवाल को भी इससे जोड़ा जा रहा है कि अगर सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट कटता है तो ब्राह्मण वोट बीजेपी के पाले में नहीं आएगा।
खैर गोरखपुर से टिकट मिलता किसको है ये तो देखना दिलचस्प होगा क्योंकि अगर अमरेंद्र निषाद टिकट पाते हैं तो जंग निषाद बनाम निषाद की होगी और अगर उपेंद्र शुक्ला टिकट पाते है तो जंग ब्राह्मण बनाम निषाद की..