Home न्यूज़ वह मुकदमा जिसके डर से इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया

वह मुकदमा जिसके डर से इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया

आज ही के दिन यानी 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी संसद की सदस्यता खारिज कर दी गयी थी
आज से ठीक 43 साल पहले वह ऐतिहासिक फैसला आया था , जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को देश मे आपातकाल लगाने पर मजबूर कर दिया था , ‘राजनारायण बनाम उत्तर प्रदेश ‘ नाम के इस बहुचर्चित मुकदमे में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन्दिरा गांधी को चुनावो में धांधली का दोषी पाया था 12 जून 1975 को सख्त जज माने जाने वाले जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा अपने फैसले में उनके रायबरेली से सांसद के रूप मे चुनाव को अवैध करार दे दिया था , साथ ही अगले छ साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा थी , ऐसी स्थिति में इंदिरा गांधी के पास राज्यसभा में जाने का कोई रास्ता भी नही बचा ऐसे हालात में उनके पास प्रधानमंत्री पद छोड़ने के सिवा कोई रास्ता नही था ।
भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद उन्हें लगा कि भारत की जनता अब उनके विरोध मे उतर चुकी है तो उन्होंने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे से मुलाकात की राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा कहा जाता हैं कि इंदिरा गांधी जो भी निर्णय लेती थी इनके सलाह के बाद लेती थी ।
मुलाकात के बाद सिदार्थ शंकर रे की सलाह पर धारा – 352 के तहत देश मे आंतरिक आपातकाल लगाने का फैसला किया गया , 29 जून को कांग्रेस के खिलाफ विपक्षी दलों ने हड़ताल का ऐलान किया था , इसीलिए 25 जून को इमरजेंसी लगानी पड़ी क्योकि हालात काफी खराब था , 25 और 26 जून की वो रात आपातकाल के आदेश पर राष्ट्रपति फ़ख्ररूदीन अली अहमद के दस्तख़त के साथ साथ देश में आपातकाल लागू हो गया ।

अभिषेक पाल

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