मार्गशीर्ष पूर्णिमा शनिवार को, इस दिन करे भगवान नारायण की पूजा..
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया हैं कि यह व्रत मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को होता है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। प्रातः काल स्नानोपरांत शरीर शुद्धि के पश्चात श्वेत वस्त्र धारण करके आचमन कर “ॐ नमो नारायणाय'” कहकर आवाहन करें तथा पूजन — गन्ध,पुष्प,चन्दन,श्वेत पुष्प आदि द्रव्यों को अर्पण करें।भगवान नारायण जी के सम्मुख हवन की वेदी निर्माण कर अग्नि देव को स्थापित करें और उसमे घी,शक्कर आदि की आहुति करें ।

हवन की समाप्ति के पश्चात भगवान को भोग लगाकर आरती करें व अपना व्रत उनको अर्पण कर प्रणाम करें।इस प्रकार भगवान को व्रत समर्पित करके सायंकाल चंद्रमा निकलने पर दोनों घुटने पृथ्वी पर टेक श्वेत पुष्प,अक्षत,चन्दन,जल सहित अर्घ देते समय चन्द्रमा से कहे —हे भगवन।रोहिणी पते आपका जन्म अत्रि कुल में हुआ और आप सागर में प्रकट हुए है ! मेरे दिए हुए अर्घ को स्वीकार करें। इसके बाद चन्द्रमा को अर्घ देकर उनकी ओर मुख करके हाथ जोड़ कर प्रार्थना करें .. हे भगवान।आप श्वेत किरणों से सुशोभित होते है।आपको नमस्कार है।आप ब्राह्मणों के राजा है।आपको नमस्कार हैं। आप रोहिणी के पति है आपको नमस्कार है।आप लक्ष्मी के भाई हैं आपको नमस्कार हैं। इस प्रकार रात्रि को नारायण भगवान की मूर्ति के पास ही शयन करें। दूसरे दिन प्रातः काल ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा देकर विदा करें।इस प्रकार व्रत करने से जन्म जन्मान्तर के पापों से मुक्ति मिलती है व अभीष्ट की प्राप्ति होती है।