महाष्टमी व महानवमी व्रत का निर्णय

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गोरखपुर: महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान के संस्थापक- पंडित अयोध्या पाण्डेय व प्रवर्त्तक ज्योतिषाचार्य राकेश पाण्डेय के अनुसार 6 अप्रैल से आरम्भ हुए चैत्र नवरात्रि में माँ दुर्गा की नौ रूपों का पूजन विधि विधान से किया जाता है लेकिन इस बार नवरात्रि का पर्व ८ दिवस का जिसकी वजह से महानिशा पूजा शुक्रवार को रात्रि काल मे की जाएगी व जो लोग प्रतिपदा व अष्टमी का व्रत करते है उनका व्रत महाष्टमी व महानवमी का व्रत शनिवार 13 अप्रैल को किया जाएगा।

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इस वर्ष वासन्तिक नवरात्र 8 दिवस का ही है जिसमे नवमी तिथि का क्षय है अतः शनिवार को प्रातः 08:16 के बाद नवमी तिथि लगेगी जो रविवार को प्रातः 06:00 बजे तक ही है।

अतः पूर्णाहूति व कुमारी कन्यायों का पूजन शनिवार को प्रातः08:16 के बाद करने का विधान है।कुमारी कन्याओं के पूजन का माहात्म्य…शास्त्रों में 10 वर्ष तक की ही कन्या को कुमारी कहा गया है अतः 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की ही कन्या होनी चाहिए साथ में 1 बालक बटुक के रूप उनका भी पूजन अवश्य करना चाहिए।

धर्मशास्त्रानुसार एक कन्या पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति,दो कन्या पूजन से भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति,तीन कन्या पूजन से धर्म-अर्थ-काम की प्राप्ति,चार कन्या पूजन से पद व प्रतिष्ठा की प्राप्ति, पाँच कन्या पूजन से विद्या बुद्धि की प्राप्ति, छः कन्या पूजन से षट्कर्म की प्राप्ति,सात कन्या पूजन से बल व पराक्रम की प्राप्ति,आठ कन्या पूजन से धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति, नौ कन्या पूजन से समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
वहीं जो लोग नौ दिन का उपवास है उनके लिए नवरात्र व्रत पारण रविवार को प्रातः06 बजे के बाद पूरे दिन कभी भी किया जा सकता है।